tag:blogger.com,1999:blog-1490370566945501750.post4357749523573426324..comments2024-02-15T12:41:03.018+05:30Comments on KRANT: Remembering No War Zone "AYODHYA"KRANT M.L.Vermahttp://www.blogger.com/profile/16522523292171432524noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1490370566945501750.post-11037014087939665102017-02-03T08:28:10.411+05:302017-02-03T08:28:10.411+05:30नृपेन्द्र! यह नज़्म मैंने अटलजी को लिखकर भेजी थी। ...नृपेन्द्र! यह नज़्म मैंने अटलजी को लिखकर भेजी थी। जिसका उत्तर उन्होंने मुझे दिया था - "क्रान्त जी! आपकी नज़्म बहुत जोशपूर्ण है।"KRANT M.L.Vermahttps://www.blogger.com/profile/16522523292171432524noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1490370566945501750.post-43795853698323162922011-12-07T19:51:09.410+05:302011-12-07T19:51:09.410+05:30ईट से ईट बजा दी ........ वाली कविता भी साथ पढ़कर मज़...ईट से ईट बजा दी ........ वाली कविता भी साथ पढ़कर मज़ा आ जाता हैं<br /><br />ईट से ईट बजा दी ये सुना था हमनें<br /><br />आज वह काम अयोध्या में हुआ दिखता हैं |<br /><br />यह समंदर हैं जो अपनी पे उतर आये तो<br /><br />सारी दुनिया को ये औकात बता सकता हैं |<br /><br /> <br /><br />आज खतरा नही हमको हैं मुसलमानों से<br /><br />घर में जयचंद की औलादें बहुत ज्यादा हैं |<br /><br />मेरा कहना हैं कि उन सबसे निपटो लों पहले <br /><br />कौम को अपनी मिटाने को ये अमादा हैं |<br /><br /> <br /><br />हम तो लोहू की स्याही से ये सब लिखते हैं <br /><br />ताकि सोया ये लहू जागे कसम खाने को |<br /><br />हम किसी जन्म में थे चंद,कभी थे बिस्मिल <br />देखें कौन आता हैं यह फर्ज बजा लाने कोNripendrahttps://www.blogger.com/profile/04204730489470331733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1490370566945501750.post-45539885067861281982011-12-06T12:10:58.654+05:302011-12-06T12:10:58.654+05:30बिल्कुल सही लिखा है, सहमत हूँ आपसेबिल्कुल सही लिखा है, सहमत हूँ आपसेSANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.com