यूँ तो भारतवर्ष को ब्रिटिश साम्राज्यवाद की दासता से मुक्त कराने में असंख्य वीरों ने अपना बलिदान दिया किन्तु पं0 रामप्रसाद 'बिस्मिल' एकमात्र ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने एक साधारण परिवार में जन्म लेकर अपनी असाधारण प्रतिभा और अखण्ड पुरुषार्थ के बल पर 1920-30 के दशक मेँ भारतीय स्वातन्त्र्य संग्राम को एक ऐसा मोड़ दिया जिसने युद्ध की दिशा ही बदल दी। 1916 मेँ १९ वर्ष की आयु में उन्होंने 'अमरीका की स्वतन्त्रता का इतिहास ' जैसी एतिहासिक कृति लिखी जिसे छपते ही ज़ब्त कर लिया गया । 'बोल्शेविकों की करतूत' व 'स्वाधीनता की देवी- कैथेराइन' जैसे क्रान्तिकारी उपन्यास, 'चीन की राज्य-क्रान्ति', 'स्वदेशी-रँग','मन की लहर', 'क्रान्ति-गीतांजलि', 'जार्ज वाशिंगटन' जैसी विचारोत्तेजक पुस्तकें एवं महर्षि अरविन्द की बंगला पुस्तकों- 'योगिक साधन' और 'कारा काहिनी 'का हिन्दी-अनुवाद आदि उनकी साहित्यिक कृतियों के अतिरिक्त फाँसी से 3दिन पूर्व गोरखपुर जेल में लिखी गयी उनकी 'आत्मकथा-निज जीवन एक छटा' का अनुशीलन करने के उपरान्त ही उनकी 'सम्पूर्ण क्रान्ति के दर्शन' को समझा जा सकता है। 27 फरवरी 1985 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में पठित शोधपत्र 'शस्त्र और शास्त्र महारथी - पं.रामप्रसाद 'बिस्मिल' {पं0 रामप्रसाद 'बिस्मिल'-ए वारियर आफ पेन एंड पिस्टल} एवं 19 दिसम्बर 1996 को कांस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी द्वारा विमोचित चार खण्डों की ग्रंथावली-'सरफ़रोशी की तमन्ना' के पश्चात वर्ष 2006 मेँ प्रवीण प्रकाशन दिल्ली द्वारा तीन खण्डों में प्रकाशित 'स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास' में 20वीं शताब्दी के इस महान क्रान्तिकारी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व का सम्यक आकलन करने का प्रयास मैंने किया था, जिसे सम्पूर्ण विश्व में यदि किसी एक व्यक्ति ने सर्वांशत: समझने व अपने जीवन में कर्मश: उतारने का दुस्साहस किया है तो वह है आज के युग का एक सर्वाधिक लोकप्रिय युवा सन्यासी बाबा रामदेव! मेरी उस परम पिता परमात्मा से प्रति पल यही प्रार्थना है कि वह बाबा रामदेव जी के' भारत स्वाभिमान अभियान' को यथाशीघ्र सफल बनाये जिससे शहीदों के सपनों का हिन्दुस्तान बन सके । इति शम!
10 comments:
ये पता था की बिसिमिल जी शस्त्र के महारथी थे, पर ये नही पता था की आप शास्त्र के भी महारथी थे. बिस्मिल जी का अध्ययन इतना गहरा था !!!!!!
Very good overview about his personality and thougt process of Pt. Ram Prssad Bismil . Making a parallel with today's baba Ramdev is also true .
Amit.
The books shown above in the picture are related to the Bismil. Out of these 10 books, 8 have been either written,edited,compiled or searched by me. Image hereinabove is showing only the title cover of these books.
krant Ji, Aap ki book kahan se li ja sakti hai. Mera email id aksharma0202@live.in hai. agar aap mujhe mail bhej kar bata sake to aap ki badi kripa hogi. Main "krantikari sathiyo ka itihas" book khareedna chahta hu
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी पतंजलि योगपीठ नेहरू मेमोरिअल या फिर साहित्य अकादमी के पुस्तकालय से लेकर पढ़ सकते हैं
प्रकाशक सहित पुस्तक का सन्दर्भ इस प्रकार है:
मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास (३ खण्डों में) २००६ प्रवीण प्रकाशन ४७६०/६१ (दूसरी मंजिल) २३ अंसारी रोड दरियागंज नई दिल्ली-११०००२ ISBN 8177831224
ye sara jag bus naam se hi "Bismil" ko jana karta tha kya kaam kiya kaha janam liya kaise apna jeevan is desh ke naam kiya
kya istihas Racha jeevan mai anpe
kay saggharh ke unke kahani thi ye apki lekni hai jisne aj tak unke hone ki masshal jala rakhi hai.
Ram Prasad Bismil was not an ordinary man he was incarnation of Ram. This fact was disclosed by his mother Moolmati in a huge gathering assembled after his death at Gorakhpur on 19 December 1927.
My father late Sri Ramlal who had also gone to Gorakhpur used tell the words of his mother.
Krant M.L.Verma
ME BISMIL JI KO NAMAN KARTA HU AUR SWAYAM KO BHAGYASHALI SAMAJTA HU KI MUJE BISMIL KI PETRIK BHUMI ,VILLAGE -BARBAI,TEHSIL -PORSA,DISTRICT-MORENA(CHAMBAL DIVISION),ME JANM MILA.
UNKE AADARSHON OR KRANTIKARI VIRASAT KO SAHEJNE KE LIYE HUM ''AKHIL BHARTIYA BISMIL KRANTI SENA'',HQ..MORENA,KE RUP ME KAAM KAR RAHE HE.
AAPKE DWARA DI GAYI JAANKARI OR KAAM SADHUWAAD KE PATRA HE...JAI HIND-JAI BISMIL.
ये सभी किताबें मुझे चाहिए वर्माजी कैसे प्राप्त हो सकती हैं ज़रा बताएं
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