अथ श्री गान्धीजी कथा
लोगों को सहसा लगा , बड़े-बड़े सब लोग; कांग्रेस को कर रहे निष्ठा से सहयोग.
निष्ठा से सहयोग, योग जनता का पाया ; गान्धी ने फिर असहयोग का मन्त्र बताया.
कहें 'क्रान्त' जो हल करसकताथा रोगोंको;'असहयोगआन्दोलन' ठीकलगा लोगोंको.
उधर 'खिलाफत' थीइधर,असहयोगपुरजोर;हिन्दुस्तां'में मचगया 'स्वतन्त्रता'काशोर.
'स्वतन्त्रता' का शोर, मोर जंगल में नाचा ; सबने देखा-देखी में जड़ दिया तमाचा.
कहें 'क्रान्त' चौरीचौरा में हुई बगावत; गान्धी ने घबराकर कर दी उधर खिलाफत.
इससे सारे हो गये, नौजवान नाराज ; कांग्रेस में देखकर गान्धी जी का राज.
गान्धीजी का राज,लाज जिन-जिन को आई ;उन सबने गान्धीजी को लानत भिजवाई.
कहें 'क्रान्त' फिर ,' इन्कलाब' के गूँजे नारे; 'जिन्दाबाद' जवान कह उठे इससे सारे.
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