वैदिक नव-वर्षाभिनन्दन
संवत्सरोअसि,परिवत्सरोअसि, ईवत्सरोअसि,इद्वत्सरोअसि !
उषस:, अहोरात्र:, अर्द्धमास:, मासाश्च, ऋतव:, ते कल्पयन्ताम !!
प्रेत्यैच सम सारय प्रांच वत्सर,सुपर्ण आचितअसिमंगलाचित!
देवस्तया अंगिर सीद अस्वत, तया ध्रुव: नव- संवत्सरस्य !!
यजुर्वेद-२७/४५ की प्रार्थना का इन्द्रवज्रा छन्द में संस्कृत काव्य रूपान्तर
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