Monday, March 4, 2013

M.K.Gandhi's role against Indian Revolutionaries

                       अथ श्री गान्धीजी कथा
 
                                              (कुण्डली छन्द में)

मित्रो! इससे पूर्व मैं अपने इसी ब्लॉग पर इसी कथा को कई किश्तों में पोस्ट कर चुका हूँ किन्तु कुछ मित्रों ने मुझे फोन करके यह आग्रह किया कि मैं इसे सन्दर्भ सहित एक बार में ही यहाँ पर दूँ. मैंने उनके आग्रह को स्वीकारते हुए यहाँ पर पुन; पोस्ट किया है. जिन्हें विशेष अध्ययन करना हो वे बाईं ओर दी गयी पुस्तक से देख सकते हैं.

मदनलाल ने जब किया, लन्दन में विस्फोट. अंग्रेजों के हृदय पर, हुई भयंकर चोट.
हुई भयंकर चोट, गान्धी को बुलबाया.परामर्श कर लन्दन से, भारत भिजवाया.
कहे 'क्रान्त' अफ्रीका के अनुभव विशाल ने.गान्धी[2]को भारत भिजवाया मदनलाल[3]ने.

कांग्रेस में गोखले[4], का सुन्दर व्यक्तित्व; देख गान्धी को लगा, उनमें सही गुरुत्व.
उनमें सही गुरुत्व, तत्व उनका पहचाना; गान्धी ने फिर बुना, देश में ताना-बाना.
कहें 'क्रान्त' अंग्रेज-भक्त, उस 'काग-रेस'[5] में, मार ले गये बाजी, गान्धी कांग्रेस में.

हुई 'बीस' में त्रासदी, तिलक गये परलोक; कांग्रेस में छा गया, भारत-व्यापी शोक.
भारत-व्यापी शोक,लोक-निष्ठा में छाया; गान्धीजी ने 'तिलक-फंड', तत्काल बनाया.
कहें 'क्रान्त' उस समय, चबन्नी-मात्र फ़ीस में; एक करोड़ राशि एकत्रित, हुई 'बीस' में.

कांग्रेस फिर हो गयी, रातों-रात रईस; 'गान्धी-बाबा' बन गये, कांग्रेस के 'ईश'.
कांग्रेस के ईश, शीश सब लोग झुकाए; 'मोतीलाल' पुत्र को लेकर, आगे आये.
कहें 'क्रान्त' गान्धी को, सौंपा पुत्र 'जवाहर'; जनता में हो गयी लोकप्रिय, कांग्रेस फिर.

लोगों को सहसा लगा , बड़े-बड़े सब लोग; कांग्रेस को कर रहे निष्ठा से सहयोग.
निष्ठा से सहयोग, योग जनता का पाया; गान्धी ने फिर असहयोग का मन्त्र बताया.
कहें 'क्रान्त' जो हल कर सकता था रोगों को; 'असहयोग आन्दोलन' ठीक लगा लोगों को.

उधर 'खिलाफत' थी इधर,असहयोग पुरजोर; हिन्दुस्तां में मच गया 'स्वतन्त्रता'का शोर.
'स्वतन्त्रता' का शोर, मोर जंगल में नाचा; सबने देखा-देखी में जड़ दिया तमाचा.
कहें 'क्रान्त' चौरीचौरा में हुई बगावत; गान्धीजी घबराये कर दी उधर खिलाफत.

इससे सारे हो गये, नौजवान नाराज; कांग्रेस में देखकर गान्धी जी का राज.
गान्धीजी का राज,लाज जिन-जिन को आई ;उन सबने गान्धीजी को लानत भिजवाई.
कहें 'क्रान्त' फिर इन्कलाब के गूँजे नारे; 'जिन्दाबाद' जवान कह उठे इससे सारे.

सन बाइस में उठ खड़ा, हुआ युवा-विद्रोह; 'बिस्मिल' जैसे नवयुवक,बाट रहे थे जोह.
बाट रहे थे जोह , जोर की थी तैयारी; सरफ़रोश गजलों ने, फूँकी वह चिनगारी.
कहें'क्रान्त' जिसने वह, आग लगा दी इसमें; शोला भड़का हुई क्रान्ति, फिर सन बाइस में.

पच्चिस में नव-वर्ष पर, इश्तिहार को छाप; गूँजी पूरे देश में, अश्वमेध की टाप.
अश्वमेधकी टाप, फ्लॉप थे सारे नेता; सिर्फ क्रान्तिकारी ही थे, चहुँ ओर विजेता.
कहें'क्रान्त' फिर फण्ड जुटाने की कोशिश में; काकोरी का काण्ड,हो गया सन पच्चिस में.

काकोरी के पास में, चलती गाड़ी रोक; बिस्मिल के नेतृत्व में, दिया मियाँ[6] को ठोक.
दिया मियाँ को ठोक, मियाँ की लेकर जूती[7]; सरकारी-धन हथियाने, को गाड़ी लूटी.
कहें'क्रान्त' भयभीत, हो गयी चमड़ी गोरी; उसने कहा कि साजिश है, घटना काकोरी.

बिछा फटाफट देश में, गुप्तचरों का जाल; यह 'काकोरी-काण्ड' था, उनके लिये सवाल.
उनके लिए सवाल, शीघ्र ही हल करना था ; वरना सत्तावन[8] जैसा, सबको मरना था.
कहें 'क्रान्त' सब पिंजड़े में, भर लिये ठकाठक; चालिस क्रान्ति-कपोत,जाल को बिछा फटाफट.

काकोरी का मुकदमा, चला अठारह माह; बड़े - बड़े लाये गये, इकबालिया गवाह.
इकबालिया गवाह , आह सारे भरते थे; 'बनारसी' को देख, सभी अचरज करते थे.
कहें 'क्रान्त' गान्धी का था, वह भक्त टपोरी; जिसे पता था कैसे,हुआ काण्ड-काकोरी.

'बनारसी' ही जानता, था बिस्मिल का राज; उसे पता था राम[9] ही, छीन सकेगा ताज.
छीन सकेगा ताज, आज या कल गान्धी से; इसे हटाओ तभी, बचोगे इस आँधी से.
कहें 'क्रान्त' कंगन के, आगे झुकी आरसी[10]; बना अप्रूवर[11] गान्धी, का चेला बनारसी.

इन दोनों की अन्ततः, साजिश लायी रंग; मुल्लाजी को देखकर, सभी लोग थे दंग.
सभी लोग थे दंग, इधर नेहरू के साले; जगतनारायण मुल्ला,उधर सभी मतवाले.
कहें 'क्रान्त' दुर्दशा, कचहरी के कोनों की; देख-देख छाती फटती थी, इन दोनों की.

बिस्मिल,रोशनसिंह औ' अशफाकुल्ला खान; सँग राजिन्दर लाहिड़ी, चार हुए बलिदान.
चार हुए बलिदान, मान भक्तों का डोला; भगत सिंह ने रँगा, बसन्ती अपना चोला.
कहें 'क्रान्त' आजाद सरीखे, सब जिन्दा दिल; देश-दुर्दशा देख, हो गये सारे बिस्मिल.

वध कीना सांडर्स का, संसद में विस्फोट; भगत सिंह आजाद ने, करी तड़ातड़ चोट.
करी तड़ातड़ चोट , देश ने ली अँगड़ाई; थाने फूँके गये, बैरकें गयीं जलाई.
कहें'क्रान्त' गान्धी के रोके क्रान्ति रुकी ना; क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजों का वध कीना.

गान्धी-इरविन-पैक्ट में, जब ये उठा विवाद; भगत सिंह यदि मर गया, होगा बड़ा फसाद.
होगा बड़ा फसाद, टालते हैं यदि फाँसी; काँग्रेस-अधिवेशन में, होगी बदमाशी.
कहें 'क्रान्त' है युवा वर्ग की ऐसी आँधी; इसमें क्या कर पायेंगे बेचारे गान्धी.

बोले वायसराय से गान्धीजी तत्काल-"आज नहीं तो कल जिसे मरना है हर हाल.
मरना है हर हाल, देर फिर मत करवाओ; अधिवेशन से पहले ही फाँसी दिलवाओ.
कहें 'क्रान्त' जिससे जो होना है सो हो ले; रोज-रोज का झंझट निबटे" गान्धी बोले.

एक-एक कर हो गया, ग्यारह[12] का बलिदान; गान्धी जी को तब लगा, अब है काम आसान.
अब है काम आसान,लीक पर इनको लाओ; युवा-वर्ग का लीडर नेहरू को बनवाओ.
कहें 'क्रान्त' उठ खड़ा हुआ सुभाष नर-नाहर; बोला-"अब मैं बदला लूँगा एक-एक कर".

त्रिपुरी औ' हरिपुरा में, दो-दो बाजी जीत; काँग्रेस में की शुरू,फिर चुनाव की रीत.
फिर चुनाव की रीत, रीढ़ गान्धी की तोड़ी; जब वो भन्नाए तो तुरत पार्टी छोड़ी.
कहें'क्रान्त' फॉरवर्ड ब्लाक की नीव फिर धरी; नरनाहर सुभाष ने,वह स्थल था त्रिपुरी.

कलकत्ता में जब किया,नेता जी को कैद; भेष बदल जापान वे,पहुँचे हो मुस्तैद.
पहुँचे हो मुस्तैद,फ़ौज अन्ततः बनायी; सिंगापुर में दिल्ली चलो अवाज लगायी.
कहें 'क्रान्त' गान्धी को लगा इधर सत्ता में- कुछ न मिलेगा, जा पहुँचे वे कलकत्ता में.

जैसे ही जापान की हुई युद्ध में हार; नेताजी को यह लगा अब लड़ना बेकार.
अब लड़ना बेकार,जा रहे थे जहाज में; हुई हवाई-दुर्घटना, जल गये आग में.
कहें 'क्रान्त' जिन्दा होने का भ्रम वैसे ही- फैलाया नेता जी निकले थे जैसे ही.

नेताजी की मौत को, अब तक बना रहस्य; लोग राज करते रहे,इस देश में अवश्य.
इस देश में अवश्य, हुए नेहरू जी पहले; फिर उनकी बेटी को सपने दिखे सुनहले.
कहें 'क्रान्त' फिर हुई रूस में घटना ताजी; जिसमें मरवाये शास्त्री जैसे नेताजी.

हत्याओं का सिलसिला गान्धी जी के बाद; खूब चला तब भी, हुआ जब ये देश आजाद.
जब ये देश आजाद, यही तो बिडंवना है; गान्धी-नेहरू के आगे सोचना मना है.
कहें'क्रान्त' सिलसिलेवार इन घटनाओं का, कृतियों में इतिहास[13] लिखा है हत्याओं का.

सन्दर्भ:-

2. M.K.Gandhi was 2nd, the 1st 'Safety Valve' was Congress, established in 1885 by Britsh Govt .

3.मदनलाल धींगरा, जिसने 1.7.1909 को लन्दन जाकर कर्जन वायली का वध किया था
4.गोपाल कृष्ण गोखले
5. कौओं की दौड़
6.काकोरी काण्ड में अहमद अली नाम का एक मात्र मुसाफिर मारा गया था, मियाँ शब्द उसी के लिए आया है
7. "मियाँ की जूती,मियाँ की चाँद" एक मुहावरा है जिसका अर्थ है अंग्रेजों के पैसे से ही अंग्रेजों को हथियार खरीद कर मारना
8. सत्तावन = १८५७
9. राम ='बिस्मिल' का एक और नाम
10. "हाथ कंगन को आरसी क्या " एक मुहावरा है जिसका अर्थ है बड़े के आगे छोटे का अस्तित्व कुछ नहीं होता किन्तु यहाँ सारा केस ही उलट दिया गया काकोरी-षड्यन्त्र को अंग्रेजी-षड्यन्त्र में बदल दिया गया
11. अप्रूवर=सरकारी गवाह
12. १-राजेन्द्र लाहिड़ी,२-रामप्रसाद'बिस्मिल',३-रोशनसिंह,४-अशफाकउल्ला खां,५-लाला लाजपतराय, ६-यतीन्द्रनाथ दास,७-भगतसिंह,८-सुखदेव,९-राजगुरु,१०-चन्द्रशेखर'आजाद',११-गणेशशंकर विद्यार्थी

2 comments:

Anonymous said...

O my God! I knew only that Gandhi played a role against Subhash Chandra Bose, but here is a large chain of such activities of Gandhi against the India's revolutionary movement. I would certainly like to read this book also to in order to our real history.
I raelly appreciate the spirit of a daring poet. Keep it up.

KRANT M.L.Verma said...

मेरे अनाम मित्र! सारी दुनिया जानती है कि गैलीलियो ने जब यह कहा कि सूर्य स्थिर है और यह पृथ्वी घूमती है तो उसे मौत की सजा दी गयी. क्योंकि उसने सच कहा था. हो सकता है मुझे भी कल को ये फाँसी पर लटका दें परन्तु मुझे कोई भय नहीं पूर्व जन्म में मुझे अंग्रेज फाँसी पर चढ़ा कर अपना हश्र देख चुके हैं.