Tuesday, July 30, 2013

Position of poor people in India

                                                    अभिशप्त ?

            अभिशप्त गरीबो! हटो तुम्हें इस दुनिया में, जलते अरमान बुझाने का अधिकार नहीं!

             सुन्दरता तुमसे बचपन में ही बिछुड़ गयी, तुम ये मिट्टी की काया लेकर आये हो ;
             आँखों में बादल अभी बरस कर चले गये, तुम आत्महीनता दूर नहीं कर पाये हो!

             तुम ये श्रृद्धा के फूल कहीं भी ले जाओ, कोई अब इनको कर सकता स्वीकार नहीं!

             प्रतिमाओं की इस सजी सजाई महफिल में, तुम अपने को प्रतिमा का रूप न दे पाये;
             आशाओं का यह बुझा हुआ दीपक लेकर, तुम मन्दिर तक क्यों खाली हाथ चले आये?

             पत्थर की चौखट पर चाहे सिर दे मारो, लेकिन खुल सकता यह लोहे का द्वार नहीं!

             ये गढ़े गये कानून तुम्हारी ही खातिर, इसलिये कि ये अधिकार न तुमको मिल पायें;
                     ये टूट नहीं सकतीं कानूनी जंजीरें, हाँ भले तुम्हारी जलती साँसें बुझ जायें!

             तुम क्यों आये बेकार यहाँ पर, लौट चलो; ऐसी दुनिया को, तुम जैसों से, प्यार नहीं!

Tuesday, July 23, 2013

Ram Prasad Bismil & his time

काकोरी काण्ड के समय बिस्मिल

रामप्रसाद 'बिस्मिल' और उनका युग
 
बीसवीं सदी के तीसरे दशक में सशस्त्र क्रान्ति के जो प्रयास हुए उन्होंने हिन्दुस्तान के स्वतन्त्रता आन्दोलन में निर्णायक भूमिका निभायी। काँग्रेस का नरम दल क्रान्तिकारियों पर लगातार यह आरोप लगाता रहा कि उनके पास न तो कोई कार्यक्रम है और न ही कोई योजना। वे लोग अपनी आतंकवादी गतिविधियों से एम०के०गान्धी के अहिंसात्मक आन्दोलन को पीछे धकेल रहे हैं।

इसका मुँहतोड़ जबाव देने के लिये सन् उन्नीस सौ चौबीस में बंगाल की क्रान्तिकारी पार्टी के कुछ अनुभवी लोगों ने संयुक्त प्रान्त उत्तर प्रदेश के मैनपुरी काण्ड में फरार क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' से शाहजहाँपुर आकर सम्पर्क किया। बिस्मिल ने बंगाल के क्रान्तिकारियों से उनके दल की नियमावली आदि प्राप्त की और विदेश से लाला हरदयाल के दिशानिर्देशानुसार कुछ वरिष्ठ क्रान्तिकारियों से परामर्श करके 'हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ' का केन्द्रीय संविधान तैयार किया। पहली जनवरी उन्नीस सौ पच्चीस को इसका 'घोषणा पत्र' अंग्रेजी में बनाकर एक साथ पूरे हिन्दुस्तान के छप्पन जिलों में भिजवा दिया। घोषणा पत्र अंग्रेजी में था अत: उसे पढ़ते ही अंग्रेज सरकार सतर्क हो गयी और उसने बंगाल में धरपकड़ शुरू कर दी। दल के मुख्य नेताओं में शचीन्द्रनाथ सान्याल और योगेश चन्द्र चटर्जी गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिये गये।

अब बिस्मिल के कन्धों पर पार्टी की सारी जिम्मेदारी आ गयी। उन्होंने अपनी आत्मकथा में इसका वर्णन करते हुए लिखा कि जिन कार्यकर्ताओं को बड़ी-बड़ी उम्मीदें और भरोसा दिलाकर पार्टी में शामिल किया था उन्हें किस मुँह से जबाव दिया जाये? पैसे की जुगाड़ में कुछ धनीमानी व्यक्तियों के यहाँ डकैतियाँ भी डालीं किन्तु उनमें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसी उधेड़बुन में वे एक दिन फेल्ट हैट लगाकर सहारनपुर से लखनऊ जाने वाली गाड़ी में सफ़र कर रहे थे तभी उन्हें ट्रेन में रेलवे की आमदनी वाले थैले डालने और लखनऊ में उस तिजोरी को उतार लेने की जानकारी मिली। यह सोचकर कि इस तिजोरी में काफी पैसा होगा उन्होंने शाहजहाँपुर में अपने ही घर पर 'हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ' की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और ट्रेन लूटने का निश्चय किया।

आठ हजार रुपये से भी कम राशि की इस ट्रेन डकैती के आरोप में सारे क्रान्तिकारियों को साजिशपूर्वक फँसाने, उन पर मुकदमा चलाने और उन सबको कड़ी से कड़ी सजा दिलाने में ब्रिटिश सरकार ने उस जमाने में दस लाख रुपया खर्च किया था जब केवल बीस रुपये में पूरा एक तोला यानी बारह ग्राम सोना मिल जाया करता था।

उन्नीस सौ सोलह की लखनऊ काँग्रेस के स्वागताध्यक्ष पं० जगतनारायण मुल्ला को सरकारी वकील नियुक्त किया गया और उन्हें दो लाख रुपये फ़ीस दी गयी। यह तथ्य स्वयं इस बात की गवाही देते हैं कि इतने सारे होनहार नौजवानों को नीचा दिखाने के लिये काँग्रेस पार्टी और उसकी जन्मदात्री ब्रिटिश सरकार ने योजनापूर्वक इतनी बड़ी साजिश रची थी ताकि जिन्हें वे हिन्दुस्तान का वारिस बनाना चाह रहे थे उनका रास्ता साफ़ हो सके। 'सरफ़रोशी की तमन्ना' को लेकर जीने और मरने वालों ने जो मिसाल कायम की उसके नतीजे सारी दुनिया को पता हैं। बहरहाल 'काकोरी षड्यन्त्र' की घटना इतिहास के पन्नों में अमर हो गयी।

   

Tuesday, July 16, 2013

Narendra Modi's magic

                                                नमो-नमो के मन्त्र का, जादू है चहुँ ओर;
                                  एक साथ एकत्र हैं, साँप-नेवला-मोर!
                                  साँप-नेवला-मोर, शोर घनघोर मचाते;
                                  संकट के घन देख, दादुरों से टर्राते;
                                  कहें 'क्रान्त'ऐसे में लक्षण देख सबों के;
                                  लगता है ये सभी शत्रु हैं नमो-नमो के!!

Hindu in India

                                मेरा सवाल

                                         इसका मुझे जबाव दें, श्रीमान जी आप;
                             क्या है हिन्दुस्तान में हिन्दू होना पाप?
                              हिन्दू होना पाप, हर कोई गाली देता;
                             'साम्प्रदायिक' कहकर औ' हिन्दू सह लेता!
                              कहें 'क्रान्त' इसमें है 'हाथ' बताओ किसका?
                              हिन्दू मतदाताओ! अब उत्तर दो इसका!!