कहे 'क्रान्त' करना उन्हें, था सत्ता -सम्भोग.
इसीलिये दिन की जगह, चुना रात्रि का योग.
कहे 'क्रान्त' इससे पड़ी , वंशवाद की नींव.
लोकतन्त्र की आड़ में, सोची क्या तरकीव.
कहे 'क्रान्त' जो व्यक्ति था, कुछ बच्चोंका बाप.
उसको घोषित कर दिया, 'राष्ट्र-पिता' चुपचाप.
कहे 'क्रान्त' फिर पाँच से, लेकर एक हजार.
सब नोटों पर छापकर, उसका किया प्रचार.
कहे 'क्रान्त' कर गोत्र को, गान्धी में तब्दील.
इतनी गहरी ठोंक दी, अपने कुल की कील!
कहे 'क्रान्त' शायद इसे, कोई सके उखाड़.
उग आये हैं वंश के , बड़े - बड़े झंखाड़.
एक वंश के नाम है , अपना आधा देश.
बाकी जो आधा बचा, चला न जाय विदेश!
7 comments:
India is not a free country even after 64 years.
The people are being befooled by the so called leaders. We will have to fight another battle against these decoites of democracy otherwise they will not not leave us of any use.
सही कहने की हिम्मत हर कवि मे नहीं होती
आपने अपने कविधर्म और देशधर्म दोनों का पालन किया
प्रिय जितेन्द्र जी! मैं पिछले ५० वर्ष से कविता के माध्यम से इस सोये हुए देश को जगाने का काम कर रहा हूँ देखो कब जागता है?
पतवार चलते जाएँगे ,मंजिल आएगी आएगी
The way of Centre passes through Gujrat. Till 2014 we may keep our hopes alive.
Krant bhai!
Bhagwan ke ghar der hai andher nahin hai.
Tabhi to usne Narendra bhai ko bhej hi dia ise jad se ukhad fenkane ke liye.
Apki mehnat jarur rang layegi.
Likhte rahiye.......
MILIND OJHA
मिलिन्द जी!
नरेन्द्र मोदी के बारे में बीजेपी के नेताओं ने जो संशय के बीज बोये उसका ही परिणाम है हाल में हुआ कर्नाटक विधानसभा का चुनाव!
अब तो अजित जोगी जैसे कांग्रेसी कहने लगे कि जनता ने ईमानदार नेताओं को नकार दिया है!
कितना बड़ा प्रश्नचिन्ह है इसका उत्तर है क्या किसी के पास?
आप चाहें तो मुझसे फोन पर लम्बी वार्ता कर सकते हैं ब्लॉग पर अधिक लिखना सम्भव नहीं!
मेरा नम्बर है 09811851477 (Dr Krant)
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