लोकतन्त्र की लाश ?
संसद में महफूज़ है , लोकतन्त्र की लाश.
दीवट के नीचे दिया , बिखरा रहा प्रकाश.
लोकतन्त्र की आड़ में , वंशतन्त्र की बाड़.
खा जायेगी देश को , इसका करो जुगाड़.
शब्दों का जादू हुआ , इम्तहान में फेल.
लील गयी वट-वृक्ष को, बिना बाड़ की बेल.
पहले थी कच्ची कली, अब हो गई गुलाब.
राजनीति की महक से, सबका मन बेताब.
नेहरू हों या इन्दिरा , या हों वे राजीव.
इन तीनों के नाम है , स्मृतियों की नींव.
जे.एन.यू. का बाप है , इग्नू का आकार.
फाउन्डेशन देख लो , है सम्पत्ति अपार.
आदत कैसे जायगी , सदियों रहे गुलाम.
गोरी चमड़ी देखकर , हो जाते गुलफाम.
संकेत: जे.एन.यू. = जवाहर Lal Nehru University
इग्नू = Indira Gandhi National Open University
फाउन्डेशन = Rajiv Gandhi Foundation
5 comments:
सुन्दर रचना, आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा, आपसे अनुरोध है की प्रेम व भाईचारा के प्रतीक " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर आकर follower बनकर हमारा सहयोग करें. हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे. हमारा पता है.........www.upkhabar.in/
कीर्ति हेगड़े .. प्रचारक ..----- भारतीय ब्लॉग लेखक मंच. ...
ab ek kranti ki jaroorat hai, tabhi loktantra bachega..
My dear Kirti
I saw your comment dated March 12, 2011.
You have not given your complete blog address.
How can I join you?
Respected Sushil Ji
I saw your comment dated 12th March, 2011.
You have not given the complte address of your blog
"NAJARIAA".Unable to locate you.
My Dear Anand Pandey
I have written a Gazal in Sanskrit. But you have
not posted your comment till date.
Hope so in future.
Thanks.
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