राष्ट्र-भाषा
वाटिका की शोभा को सुरम्य बनाने के लिए,
फूल भाँति-भाँति के अनेक होना चाहिए.
आदमी में ज्ञान का भण्डार हो भले ही किन्तु,
बुद्धि के उपाय में विवेक होना चाहिए.
कहे 'क्रान्त' नीति को पुनीत बनाने के लिए,
साम दाम दण्ड और भेद होना चाहिए.
जाति-पाँति-सम्प्रदाय-पन्थ हों अनेक किन्तु,
राष्ट्र-भाषा राष्ट्र-धर्म एक होना चाहिए.
No comments:
Post a Comment