अथ श्री गान्धीजी - कथा
सन बाइस में उठ खड़ा, हुआ युवा-विद्रोह; 'बिस्मिल' जैसे नवयुवक ,बाट रहे थे जोह.
बाट रहे थे जोह , जोर की थी तैयारी; सरफ़रोश गजलों ने, फूँकी वह चिनगारी.
कहें'क्रान्त' जिसने वह, आग लगादी इसमें;शोला भड़का हुई क्रान्ति, फिर सनबाइसमें.
पच्चिसमें नव-वर्ष पर, इश्तिहार को छाप ; गूँजी पूरे देश में, अश्वमेध की टाप.
अश्वमेधकी टाप, फ्लॉप थे सारे नेता; सिर्फ क्रान्तिकारी ही थे, चहुँ ओर विजेता.
कहें'क्रान्त' फिर फण्ड जुटानेकी कोशिशमें; काकोरी का काण्ड ,हो गया सन पच्चिसमें.
काकोरी के पास में, चलतीगाड़ी रोक; बिस्मिलके नेतृत्वमें, दिया *मियाँको ठोक.
दिया मियाँ को ठोक, मियाँकी लेकर जूती ; सरकारी-धन हथियाने,को गाड़ी लूटी.
कहें'क्रान्त' भयभीत,हो गयी चमड़ीगोरी; उसने कहा कि साजिश है, घटना काकोरी.
*काकोरी काण्ड में अहमद अली नाम का एक मात्र मुसाफिर मारा गया था, मियाँ शब्द उसी के लिए आया है.
"मियाँ की जूती,मियाँ की चाँद" एक मुहावरा है जिसका अर्थ है अंग्रेजों के पैसे से ही अंग्रेजों को हथियार खरीद कर मारना
"मियाँ की जूती,मियाँ की चाँद" एक मुहावरा है जिसका अर्थ है अंग्रेजों के पैसे से ही अंग्रेजों को हथियार खरीद कर मारना
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