Thursday, April 14, 2011

English Scotch In Gandhian Bottle-Episode 5

अथ श्री गान्धीजी - कथा


बिछा फटाफट  देश में, गुप्तचरों का जाल; यह   'काकोरी-काण्ड'  था, उनके लिए सवाल.
उनके लिए सवाल,  शीघ्र ही हल करना था ; वरना सत्तावन * जैसा, सबको  मरना था.
कहें 'क्रान्त' सब पिंजड़ेमें, भरलिए ठकाठक;चालिस क्रान्ति-कपोत,जालको बिछाफटाफट.

काकोरी  का मुकदमा, चला अठारह माह ; बड़े - बड़े लाये  गये, इकबालिया गवाह.
इकबालिया गवाह , आह सारे भरते थे ;  'बनारसी'  को  देख, सभी अचरज करते थे.
कहें 'क्रान्त' गान्धी का था, वह भक्त टपोरी; जिसे पता था कैसे,हुआ काण्ड-काकोरी.

'बनारसी' ही जानता, था  बिस्मिल का राज; उसे पता था  राम* ही,  छीन सकेगा  ताज.
छीन सकेगा ताज, आज या कल गान्धी से; इसे हटाओ  तभी, बचोगे इस आँधी से.
कहें 'क्रान्त'  कंगन के, आगे झुकी आरसी; बना अप्रूवर* गान्धी, का चेला बनारसी.


*सत्तावन = १८५७, *राम ='बिस्मिल' का एक और नाम, *अप्रूवर=सरकारी गवाह "हाथ कंगन को आरसी क्या " एक मुहावरा है जिसका अर्थ है बड़े के आगे छोटे का अस्तित्व कुछ नहीं होता किन्तु यहाँ सारा केस ही उलट दिया गया काकोरी-षड्यन्त्र को अंग्रेजी-षड्यन्त्र में बदल दिया गया.पाठक चाहें तो  हिन्दी विकिपीडिया  में राम प्रसाद 'बिस्मिल' लेख देख सकते हैं. क्रान्त 


No comments: