शठे शाठ्यं समाचरेत
दुष्ट हैं जो दुष्टता से बाज नहीं आयेंगे वे, आप साधु हैं तो जंगलों में चले जाइये !
बिच्छू हैं जो डंक मारते रहेंगे बार-बार, आप डूबने से उन्हें लाख हू बचाइये !
कहें 'क्रान्त' मन में मलाल मत मानिये,जो बोधा ने कहा है उसी बोध को सराहिये !
आप को नचाये उसे आप हू नचाइये, जो आप को न चाहे बाके बाप को न चाहिये !
No comments:
Post a Comment