Sunday, August 28, 2011

The snake has gone to the Bill

काला पीला

कांग्रेस ने कर लिया, काम अपना चुपचाप.
लोकपाल बिल में घुसा, भ्रष्टाचार का साँप.

काला धन हो जायेगा ,  पीला अपने आप.
तीन माह बिल में छुपा, बिठा दिया है  साँप.

सोना अब हो जायेगा , यहाँ  पचास हजार.
धन तेरस का आ रहा, कातिक में त्यौहार.

स्विस बैंक में जो जमा, सारा लिया निकाल.
अन्ना को संग्राम में , इधर बनाकर ढाल.

डॉ.'क्रान्त' एम० एल० वर्मा 

5 comments:

ZEAL said...

आदरणीय वर्मा जी , मेरे मन में जो संशय थे उन्हें आपने शब्द दे दिए हैं। हकीकत खुली किताब की तरह सामने लाके रख दी है आपने इस रचना के माध्यम से। समय रहते लोग इसे समझ जाएँ तो बेहतर है।

नीरज द्विवेदी said...

Bahut sahi kaha aapne ... yahi sach hai aur sara desh kisi aur galatfahmi ka shikaar hai.

सूर्य गोयल said...

वाकई श्री मान दिल के भावों को आपने जिस तरीके से शब्द दिए है वो काबिले तारीफ है. आपकी यह कविता पढ़ कर मजा आ गया. बहुत ही बढ़िया और कडवी सच्चाई प्रस्तुत की है आपने. बधाई. फर्क मात्र इतना है की मई भी कुछ ऐसे ही भावों से गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी मेरी गुफ्तगू में स्वागत है.

KRANT M.L.Verma said...

Congress conceals corruption whereas the real poets put it up on the surface of understanding.
Let all the public be united the time has come now.Click the following link and read it in Hindi also.http://en.wikipedia.org/wiki/Ram_Prasad_Bismil

ZEAL said...

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Checked the link and I am feeling proud of your great contribution.

regards,

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