Friday, August 26, 2011

A Tribute to Shaheed Arun Dass

श्रद्धासुमन शहीद अरुणदास को
         
 वतन पर मरने वाले क्या नहीं ईसार करते हैं
    जमीं के जर्रे -जर्रे से वो इतना प्यार करते हैं.
          कि मर जाने पे भी उनकी तडपती रूह कहती है-
               "रजज को बन्द कर दो ये हमें बेजार करते है."
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                                        शब्दार्थ: ईसार=त्याग, रजज=रणभेरी
           डॉ.'क्रान्त' एम० एल० वर्मा  

5 comments:

ZEAL said...

शहीद अरुण दास जी को विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी लगन और जज्बे को सलाम ।

प्रतुल वशिष्ठ said...

एक श्रद्धा-सुमन मेरा भी...
सच है... कुछों की शहादत बेनामी होकर महकती है..

नीरज द्विवेदी said...

Naman.Arundaas ji hamare dilon me hamesha jeevit rahenge.

KRANT M.L.Verma said...

Shaheedon ke khun kaa asar dekh lenaa.
Mitaa denge jaalim kaa ghar dekh lenaa

Nripendra said...

वतन के गद्दार और चैन से साँसें ले अब ये मंजूर नही,
मिटा देंगें हर नाम चाहे वो जिन्ना हो या गाँधी.