.....तो बचा रहेगा हिन्दुस्तान
(आल्हा छन्द)
देश-धर्म की बलि-वेदी पर, कितने लोग हुए कुर्बान;
तब जाकर आज़ाद हुआ था, मुल्क हमारा हिन्दुस्तान.
अल्लामा इकबाल ने गाया, देशभक्ति का यह जय-गान;
सारी दुनिया से अच्छा है, मुल्क हमारा हिन्दुस्तान.
महामना ने बतलाये थे, देश-भक्ति के तीन निशान-
भाषा-धर्म-देश के माने,"हिन्दी"-"हिन्दू"-"हिन्दुस्तान".
आज़ादी मिलते ही खो दी, हमने अपनी वह पहचान;
अपनी भाषा भूल गये हम, देश-धर्म का रहा न ध्यान.
भारत माता की जय भूले, भूल गये वह गौरव-गान;
झण्डा ऊँचा रहे हमारा, जाये कभी न इसकी शान.
चाहे जान भले ही जाये, बच्चा-बच्चा हो बलिदान;
लेकिन अपना मुल्क रहेगा, सबसे ऊँचा हिन्दुस्तान.
आज़ादी के बाद खो दिये, हमने अपने सभी निशान;
भाषा खो दी धर्म खो दिया, देश खो दिया हिन्दुस्तान.
अंग्रेजी ने छीन लिया है, हिन्दी से उसका स्थान;
सरकारी सेकुलर नीति ने, हिन्दू की खो दी पहचान.
भाषाओँ में भेद बताकर, कुटिल नीति से बना विधान;
प्रान्त-प्रान्त की भाषाओँ में, बाँट दिया कुल हिन्दुस्तान.
जन-जन की भाषा में करना, राज न था उनको आसान;
अंग्रेजी को लाद देश की, बेजुबान कर दी सन्तान.
भूल हमारी देखो हम सब, इसे मान बैठे निज-शान;
अपनी भाषा भूल विदेशी, भाषा का गाया गुणगान.
अंग्रेजी-घुट्टी पिलवाकर, बचपन हमने किया जवान;
आज उसी का बुरा नतीजा, भोग रहा है हिन्दुस्तान.
कहीं न कोई देश-भक्ति है, कहीं न कोई गौरव-गान;
कहीं न कोई त्याग-तपस्या, कहीं न गुरुओं का सम्मान.
फिर बतलाओ कहाँ रहेगा, देश हमारा हिन्दुस्तान?
जब हम सभी भुला बैठे हैं, "हिन्दी"-"हिन्दू"-"हिन्दुस्तान".
वेदों की भाषा संस्कृत थी, जग में था उसका सम्मान;
उसके बाद उसी की बेटी, हिन्दी ने पाया वह मान.
तुलसी ने जब मानस लिखकर, रामायण कर दी आसान;
जन-जन की भाषा में गाया, गौरव-ग्रन्थों का गुणगान.
आज़ादी के बाद भुला दी, हमने अपनी वह पहचान;
इसीलिये तो जूझ रहा है, खतरों से यह हिन्दुस्तान.
अभी समय है सोच-समझकर, मेरी सीख सभी लो मान;
"हिन्दी" "हिन्दू" बचे रहे तो, बचा रहेगा "हिन्दुस्तान".
शब्द-संकेत- महामना= मदनमोहन मालवीय, मानस=रामचरितमानस (हिन्दी)
रामायण=वाल्मीकि रामायण (संस्कृत)
(आल्हा छन्द)
देश-धर्म की बलि-वेदी पर, कितने लोग हुए कुर्बान;
तब जाकर आज़ाद हुआ था, मुल्क हमारा हिन्दुस्तान.
अल्लामा इकबाल ने गाया, देशभक्ति का यह जय-गान;
सारी दुनिया से अच्छा है, मुल्क हमारा हिन्दुस्तान.
महामना ने बतलाये थे, देश-भक्ति के तीन निशान-
भाषा-धर्म-देश के माने,"हिन्दी"-"हिन्दू"-"हिन्दुस्तान".
आज़ादी मिलते ही खो दी, हमने अपनी वह पहचान;
अपनी भाषा भूल गये हम, देश-धर्म का रहा न ध्यान.
भारत माता की जय भूले, भूल गये वह गौरव-गान;
झण्डा ऊँचा रहे हमारा, जाये कभी न इसकी शान.
चाहे जान भले ही जाये, बच्चा-बच्चा हो बलिदान;
लेकिन अपना मुल्क रहेगा, सबसे ऊँचा हिन्दुस्तान.
आज़ादी के बाद खो दिये, हमने अपने सभी निशान;
भाषा खो दी धर्म खो दिया, देश खो दिया हिन्दुस्तान.
अंग्रेजी ने छीन लिया है, हिन्दी से उसका स्थान;
सरकारी सेकुलर नीति ने, हिन्दू की खो दी पहचान.
भाषाओँ में भेद बताकर, कुटिल नीति से बना विधान;
प्रान्त-प्रान्त की भाषाओँ में, बाँट दिया कुल हिन्दुस्तान.
जन-जन की भाषा में करना, राज न था उनको आसान;
अंग्रेजी को लाद देश की, बेजुबान कर दी सन्तान.
भूल हमारी देखो हम सब, इसे मान बैठे निज-शान;
अपनी भाषा भूल विदेशी, भाषा का गाया गुणगान.
अंग्रेजी-घुट्टी पिलवाकर, बचपन हमने किया जवान;
आज उसी का बुरा नतीजा, भोग रहा है हिन्दुस्तान.
कहीं न कोई देश-भक्ति है, कहीं न कोई गौरव-गान;
कहीं न कोई त्याग-तपस्या, कहीं न गुरुओं का सम्मान.
फिर बतलाओ कहाँ रहेगा, देश हमारा हिन्दुस्तान?
जब हम सभी भुला बैठे हैं, "हिन्दी"-"हिन्दू"-"हिन्दुस्तान".
वेदों की भाषा संस्कृत थी, जग में था उसका सम्मान;
उसके बाद उसी की बेटी, हिन्दी ने पाया वह मान.
तुलसी ने जब मानस लिखकर, रामायण कर दी आसान;
जन-जन की भाषा में गाया, गौरव-ग्रन्थों का गुणगान.
आज़ादी के बाद भुला दी, हमने अपनी वह पहचान;
इसीलिये तो जूझ रहा है, खतरों से यह हिन्दुस्तान.
अभी समय है सोच-समझकर, मेरी सीख सभी लो मान;
"हिन्दी" "हिन्दू" बचे रहे तो, बचा रहेगा "हिन्दुस्तान".
शब्द-संकेत- महामना= मदनमोहन मालवीय, मानस=रामचरितमानस (हिन्दी)
रामायण=वाल्मीकि रामायण (संस्कृत)
2 comments:
वर्मा जी , अपने देश में हिंदी, हिन्दुओं और गरीबों के साथ हो रहे अन्याय को देखकर आत्मा छटपटा उठती है। आपकी इस उम्दा रचना में देश का पूरा दर्द बयान हुआ है। --जय हिंद--वन्देमातरम !
Hindi ke dard ko sarthak shabdon mein mukharit karti aapki yah rachna vicharniya hain...durbhagya se aaj HINDI ko tarjeeh nahi dee jaati hai.. angreji ka hi bolbala sar chadhkar bol raha hai....
sarthak chintan manan karti sundar sarthak prastuti hetu aabhar!
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