तुम्हारे नयन
(श्रृंगारिक रचना)
मन ये करता इन्हें देखता ही रहूँ, इतने प्यारे लगे हैं तुम्हारे नयन.
अब सदा सर्वदा के लिए बस गये, इस हृदय में तुम्हारे कुँवारे नयन.
देखना चाहे कोई तो दिखती नहीं, यत्न कितने करो किन्तु बुझती नहीं;
आग ऐसी हृदय में लगाकर गये, खंजनी से कटारे तुम्हारे नयन.
यदि ये अधरों की हो तो बुझाये बने, है ये वो जो न हमसे छुपाये बने;
प्यास नयनों में कैसी जगा कर गये, चातकी से छटारे तुम्हारे नयन.
शुष्क बाती तो थी देह के दीप में, किन्तु मोती न था साँस की सीप में;
स्नेह पा प्राण की बर्तिका जल उठी, मिल गये जब हमारे-तुम्हारे नयन.
(श्रृंगारिक रचना)
मन ये करता इन्हें देखता ही रहूँ, इतने प्यारे लगे हैं तुम्हारे नयन.
अब सदा सर्वदा के लिए बस गये, इस हृदय में तुम्हारे कुँवारे नयन.
देखना चाहे कोई तो दिखती नहीं, यत्न कितने करो किन्तु बुझती नहीं;
आग ऐसी हृदय में लगाकर गये, खंजनी से कटारे तुम्हारे नयन.
यदि ये अधरों की हो तो बुझाये बने, है ये वो जो न हमसे छुपाये बने;
प्यास नयनों में कैसी जगा कर गये, चातकी से छटारे तुम्हारे नयन.
शुष्क बाती तो थी देह के दीप में, किन्तु मोती न था साँस की सीप में;
स्नेह पा प्राण की बर्तिका जल उठी, मिल गये जब हमारे-तुम्हारे नयन.
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