रामदेव का क्रान्ति उद्घोष
बाबा ने जबसे शुरू, किया क्रान्ति-उद्घोष;
काँग्रेस को आ रहा , है रह-रह कर रोष.
है रह-रह कर रोष, कोष को लूट रहे हैं;
जनता का रुख देख, पसीने छूट रहे हैं.
कहें 'क्रान्त' हो गया, भ्रष्ट आवे का आवा;
'काँग्रेस', अगले चुनाव में? ना ना बाबा!!
बाबा ने जबसे शुरू, किया क्रान्ति-उद्घोष;
काँग्रेस को आ रहा , है रह-रह कर रोष.
है रह-रह कर रोष, कोष को लूट रहे हैं;
जनता का रुख देख, पसीने छूट रहे हैं.
कहें 'क्रान्त' हो गया, भ्रष्ट आवे का आवा;
'काँग्रेस', अगले चुनाव में? ना ना बाबा!!
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