Thursday, September 26, 2013

Curfew chorus

कर्फ्यू-गीत

बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

चौराहे पर सांड़ लड़ पड़े लोग डरे सो भागे,
भगदड़ में अफवाह उड़ गयी -"गोली चल गयी आगे"
चलती -फिरती सड़क हो गयी मिनटों में सुनसान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

मुल्ला ने दी  बाँग पुजारी बोला -"बम बम भोले"
दूर कहीं पर दगा पटाखा फिर निकले हथगोले;
नुक्कड़ वाली गली हो गयी पल में लहू -लुहान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

आती दिखी जीप सब समझे 'पुलिस' घरों को भागे,
पता चला वो वही लोग थे दंगा कर गये आगे;
सब -इंस्पेक्टर कोतवाल एस.पी. डी.एम. हैरान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

इतने में ऐलान हो गया -"कर्फ्यू लगा दिया है"
खुश -फुश घर -घर हुई -"पुलिस ने अच्छा नहीं किया है"
बड़े मियाँ छोटे से बोले -"अमाँ किधर है ध्यान?"
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

रात-रात भर जाग हुई सबने की चौकीदारी,
इतनी कहाँ पुलिस जो कर पाये सबकी रखवारी;
हल्ला हुआ पुलिस पहुँची देखा कट गयी दुकान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

पूरी रात जागकर बीती सुबह पढ़ा अखबार,
खबर छप गयी "महानगर में दंगा हुआ अपार"
हमें मोहल्ले की मालुम ये बकते बेईमान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

धीरे -धीरे अफवाहों ने पकड़ा ऐसा जोर,
घर -घर में कातिल बन बैठे गली -गली में चोर;
आग लगाकर हाथ सकते सचमुच ये हैवान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

कौन यहाँ कातिल है इनमें पकड़ सको तो जाने,
हैं नकाब ओढ़े चेहरे सब किसे -किसे पहचाने;
बैठ गया आयोग बिक गया सस्ते में ईमान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

घर में नहीं मुठी भर चावल चुटकी भर भी आटा,
बाहर कैसे निकलें छाया सड़कों पर सन्नाटा;
चोकर की लपसी को भूखा पेट लगे शमशान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

मेहनत की बिटिया घर बैठी बिना चबेना खाये,
कंचन-काया माटी हो गयी हफ्तों बिना नहाये;
भरे कनागत बाह्मन भूखे खोज रहे जिजमान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

गली -गली पड़ गयी हथकड़ी सड़क -सड़क के बेड़ी,
द्वारे-द्वारे तौंक पड़ गया हुई समस्या टेढ़ी;
घर से कैसे बाहर निकलें घूम रहे शैतान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

मस्जिद-मस्जिद खुली कचहरी मन्दिर-मन्दिर थाने,
जो नमाज-पूजा को आया पहुँचा पागलखाने;
मुल्ला और पुजारी सबके छूट गये औसान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

अल्लाह सिसके मस्जिद में ईश्वर मन्दिर में रोता,
करने वाला बड़े चैन से खर्राटे ले सोता;
कौन यहाँ जो जाकर पकड़े उस कातिल के कान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

महानगर में सन्नाटा है लोग गये हैं भाग,
बस्ती-बस्ती सुलग उठी है अब दंगों की आग;
हर गरीब की जोरू कहती -"क्या होगा भगवान?"
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

बिलख रहा है बिना दूध के ललुआ पड़ा अटाट,
बूढ़ा बापू पकड़ चुका है बीमारी में खाट;
रामभरोसे हुआ लापता राम-भरोसे जान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

अभी बेचने को आयी थी कोई सब्जी वाली,
दिखे सड़क पर बूट खटकते भगी छोड़कर डाली;
बीच सड़क पर छोड़ भग गया बनिया खुली दुकान!
बचेगा कैसे हिन्दुस्तान?

दूध पिलाया जिन्हें वही अब बाँहों में घुस बैठे,
जिसने झाड़ी बाँह उसी को सीने में डस बैठे;
आस्तीन में खुद पाले, अब इनका करो निदान!
बचाओ अपना हिन्दुस्तान!!
  

1 comment:

KRANT M.L.Verma said...

मित्रो!सन १९८० से १९८२ तक मुरादाबाद में वी.पी. सिंह के मुख्यमंत्रित्व और श्रीमती इन्दिरा गान्धी के प्रधानमंत्रित्व में बहुत बड़ा हिन्दू-मुस्लिम दंगा हुआ था. उस समय मेरी पोस्टिंग मुरादाबाद में ही थी.वह दंगा कई महीनों तक चला था.

उस समय वहाँ की जो दुखद त्रासदी मैंने देखी यह कर्फ्यू-गीत उन्हीं दिनों की रचना है जिसमें भोगा हुआ यथार्थ है. आज भी जब उन दिनों की याद आती है शरीर रोमांचित हो उठता है.

स्थितियाँ फिर वही बन रही हैं देश की जनता इससे सावधान रहे इसी दृष्टि से मैंने ब्लॉग पर यह कर्फ्यू-गीत पोस्ट किया है!