२०७१ वें नव संवत्सर की शुभकामनाएँ
संवत्सरो असि,परिवत्सरो असि, ईवत्सरो असि, इद्वत्सरो असि !
उषस:, अहोरात्र:, अर्द्धमास:, मासाश्च, ऋतव:, ते कल्पयन्ताम !!
प्रेत्यैच सम सारय प्रांच वत्सर, सुपर्ण आचित असि मंगलाचित!
देवस्तया अंगिर सीद अस्वत, तया ध्रुव: नव - संवत्सरस्य !!
(यजुर्वेद-२७/४५ की प्रार्थना का इन्द्रवज्रा छन्द में संस्कृत काव्य रूपान्तर)
उपरोक्त का हिन्दी काव्य-रूपान्तर
नया-वर्ष लो आ गया, गया पुराना वर्ष !
नये वर्ष में आपका, हो उत्तम उत्कर्ष !!
नव-प्रभात नव रात-दिन, नया पक्ष नव-मास!
नव-ऋतु बारह मास दें, जीवन में उल्लास!!
नये सुअवसर जो मिलें, कभी न जायें व्यर्थ!
यही हमारी दृष्टि हो, यही ध्येय का अर्थ!!
डॉ. मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'
ग्रेटर नोएडा (भारत)
उपरोक्त का हिन्दी काव्य-रूपान्तर
नया-वर्ष लो आ गया, गया पुराना वर्ष !
नये वर्ष में आपका, हो उत्तम उत्कर्ष !!
नव-प्रभात नव रात-दिन, नया पक्ष नव-मास!
नव-ऋतु बारह मास दें, जीवन में उल्लास!!
नये सुअवसर जो मिलें, कभी न जायें व्यर्थ!
यही हमारी दृष्टि हो, यही ध्येय का अर्थ!!
डॉ. मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'
ग्रेटर नोएडा (भारत)
No comments:
Post a Comment