मोदी की शादी का मुद्दा
"सखि! वे मुझसे कहकर जाते" यह उलाहना गौतम बुद्ध की परित्यक्ता पत्नी यशोधरा का तो हो सकता है यशोदा बहन का नहीं. क्योंकि नरेन्द्र भाई ने उन्हें बताकर ही देश-सेवा के मार्ग में कदम रक्खा था.
यहाँ याद आती हैं पं० रामप्रसाद बिस्मिल की ये पंक्तियाँ: "अपनी किस्मत में अजल ही से सितम रक्खा था, रंज रक्खा था मेहन रक्खी थी गम रक्खा था;हमने जब वादि-ए-गुर्बत में कदम रक्खा था, दूर तक यादे-वतन आयी थी समझाने को!"
और अन्त में सबके लिये यह संदेश- "हे मातृभूमि! तू व्यथित न हो अच्छे दिन आने वाले हैं! फिर नया सबेरा एक बार मोदी जी लाने वाले हैं!!"
"सखि! वे मुझसे कहकर जाते" यह उलाहना गौतम बुद्ध की परित्यक्ता पत्नी यशोधरा का तो हो सकता है यशोदा बहन का नहीं. क्योंकि नरेन्द्र भाई ने उन्हें बताकर ही देश-सेवा के मार्ग में कदम रक्खा था.
यहाँ याद आती हैं पं० रामप्रसाद बिस्मिल की ये पंक्तियाँ: "अपनी किस्मत में अजल ही से सितम रक्खा था, रंज रक्खा था मेहन रक्खी थी गम रक्खा था;हमने जब वादि-ए-गुर्बत में कदम रक्खा था, दूर तक यादे-वतन आयी थी समझाने को!"
और अन्त में सबके लिये यह संदेश- "हे मातृभूमि! तू व्यथित न हो अच्छे दिन आने वाले हैं! फिर नया सबेरा एक बार मोदी जी लाने वाले हैं!!"
4 comments:
"सखि! वे मुझसे कहकर जाते" यह उलाहना गौतम बुद्ध की परित्यक्ता पत्नी यशोधरा का तो हो सकता है यशोदा बहन का नहीं.
bahut sahi baat kahi hai ktrant ji
yakinan acche din aane vale hai
See the next blog अच्छे दिन आने वाले हैं (the poem written by Pt Ram Prasad Bismil about 90 years ago becoming true,
देखिये मित्रो! मीडिया आजकल नरेन्द्र मोदी की किस तरह से मजाक बनाने में लगा हुआ है। उसे लग रहा है जैसे चुटकी बजाते अच्छे दिन आ जाएँगे। या फिर मोदी कोई मैजिक लैम्प लेकर आये हैं जिसको घिसते ही जिन्न प्रकट हो जाएगा और सारी समस्याएँ हल कर देगा।
अब तक तो अच्छे दिन आ भी गए होंगे .. साल भर से भी उपर हो गया है. ;)
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