Tuesday, April 19, 2011

English Scotch In Gandhian Bottle-Episode 8

अथ श्री गान्धीजी कथा


त्रिपुरी औ' हरिपुरामें, दो-दो बाजी जीत;काँग्रेसमें कीशुरू,फिरचुनावकी रीत.
फिर चुनावकी रीत, रीढ़गान्धीकी तोड़ी; जबवो भन्नाए   तो तुरतपार्टी छोड़ी.
कहें'क्रान्त' फॉरवर्डब्लाक की नीवफिरधरी;नरनाहरसुभाषने,वहस्थलथा त्रिपुरी

कलकत्तामें जबकिया,नेताजीको कैद; भेषबदल जापान वे,पहुँचे हो मुस्तैद.
पहुँचे हो मुस्तैद,फ़ौज अन्ततः बनायी;सिंगापुरमें दिल्लीचलो अवाजलगायी.
कहें'क्रान्त' गान्धीकोलगा इधरसत्तामें-कुछन मिलेगा,जापहुँचेवे कलकत्तामें.

जैसे ही जापानकी हुई युद्ध में हार; नेताजीको यह लगा अब लड़ना बेकार.
अब लड़ना बेकार,जा रहे थे जहाज में;हुई हवाई-दुर्घटना,जल गये आग में.
कहें 'क्रान्त' जिन्दा होने का भ्रम वैसे ही-फैलाया नेताजी निकलेथे जैसे ही.

नेताजीकी मौतको,अबतक बना रहस्य;लोग राजकरते रहे,इसदेशमें अवश्य.
इस देशमें अवश्य,हुए नेहरूजी पहले;फिर उनकी बेटीको सपनेदिखे सुनहले.
कहें 'क्रान्त' फिर हुई रूसमें घटना ताजी;जिसमें मरवाए शास्त्रीजैसे नेताजी.

हत्याओंका सिलसिला गान्धीजीकेबाद;खूबचला तबभी, हुआजब येदेश आजाद.
जब ये देश आजाद,यही तो बिडंवना है;गान्धी-नेहरू के आगे सोचना मना है.
कहें'क्रान्त' सिलसिलेवार इन घटनाओंका,कृतियोंमेंइतिहास लिखाहै हत्याओंका.

इतिश्री क्रान्त-पुराणे नवमखंडे आर्यावर्ते गान्धी-कथा समाप्तोअहं

2 comments:

KRANT M.L.Verma said...

Ath Sri Gandhiji Katha is based on historical
facts. It is written in most popular KUNDLI chhand which is a prominent metre of Hindi poetry. It's composition is not so easy as the
poets think. KUNDLI is just like a CIRCLE which
starts and ends on the same word. Any viewer of this BLOG can check it. If it is in correct form
of metre, it's Okay otherwise comments are most
welcome.

KRANT M.L.Verma said...

The book shown hereinabove is the image of it's title cover. Complete work is in 3 volumes an can be seen in the reputed libraries. A senior fellowship was awarded to it's on the project matter of this book in the year 2002 by Govt of India, Deptt. of Culture.