अथ श्री गान्धीजी कथा
गान्धी-इरविन-पैक्ट में, जबयेउठा विवाद; भगतसिंहयदि मरगया, होगाबड़ा फसाद.
होगा बड़ा फसाद , टालते हैं यदि फाँसी ; काँग्रेस - अधिवेशन में, होगी बदमाशी.
कहें 'क्रान्त' है युवा वर्ग की ऐसी आँधी ; इसमें क्या कर पायेंगे बेचारे गान्धी.
बोले वायसरायसे गान्धीजी तत्काल-"आज नहीं तो कल जिसे मरना है हर हाल.
मरना है हर हाल, देर फिर मत करवाओ; अधिवेशनसे पहले ही फाँसी दिलवाओ.
कहें 'क्रान्त' जिससे जो होना है सो हो ले; रोज-रोजका झंझट निबटे" गान्धी बोले.
एक-एक कर होगया, ग्यारह*का बलिदान; गान्धीजीको तबलगा, अबहै कामआसान.
अब है काम आसान,लीक पर इनको लाओ; युवा-वर्ग का लीडर नेहरू को बनवाओ.
कहें 'क्रान्त' उठ खड़ा हुआ सुभाष नर-नाहर; बोला-"अब मैं बदला लूँगा एक-एक कर".
* १-राजेन्द्र लाहिड़ी,२-रामप्रसाद'बिस्मिल',३-रोशनसिंह,४-अशफाकउल्ला खां,५-लाला लाजपतराय,
६-यतीन्द्रनाथ दास,७-भगतसिंह,८-सुखदेव,९-राजगुरु,१०-चन्द्रशेखर'आजाद',११-गणेशशंकर विद्यार्थी.
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