Saturday, April 28, 2012

Congress corrupted country

भ्रष्टाचार का भस्मासुर

आज़ादी के बाद देश में  भ्रष्टाचार  बढ़ा  है ।
लोकतन्त्र के साये में कुल का आकार बढ़ा है॥

भारत भ्रष्टाचार राशि दोनों की एक रही है ।
काँग्रेस के साथ करप्शन का भी हाल यही है॥

पहले केवल हरे नोट पर गान्धी जी आये थे।
उसके  माने  काँग्रेस ने हमको बतलाये थे ॥

चपरासी बाबू अफसर जब दफ्तर में तन जाये।
हरा नोट दिखला दो बिगड़ा हुआ काम बन जाये॥

आम आदमी को पहले इसकी आदत डलवाई । 
उस के  बाद करप्शन की  सीमायें गईं  बढ़ाई ॥

दस के बाद पचास बाद में सौ पर बापू आये।
उसके बाद करप्शन ने अपने जौहर दिखलाये॥

काँग्रेस ही सूटकेस की धाँसू  कल्चर  लायी।
बापू की तस्वीर पाँच सौ के नोटों पर आयी॥

दो गड्डी में पेटी भर का काम निकल जाता है।
लेन देन का धन्धा भी सुविधा से चल जाता है॥

अब तो चिदम्बरम साहब चश्में को पोंछ रहे हैं।
भ्रष्टाचार घटाने की तरकीबें  सोच  रहे  हैं ॥

बड़े-बड़ों के घर आये दिन छापे डाल रहे हैं।
गान्धी बाबा गड़े हुए हैं उन्हें निकाल रहे हैं ॥

पहले सारा गड़ा हुआ धन ये बाहर ले आये।
फिर हजार के नोटों पर गान्धी जी को छपबाये॥

पेटी अब पैकेट बनकर पाकेट में आ जाती है।
सोन चिरैया भारत में अब नजर नहीं आती है॥

लालू एक हजार कोटि की सीमा लाँघ चुके हैं।
नरसिम्हा चन्द्रास्वामी सब इसे डकार चुके हैं॥

माया के चक्कर में बी.जे.पी. ने साख गँवायी।
छ: महिने में माया ने अपनी माया दिखलायी॥

गली-गली नुक्कड़-नुक्कड़ चौराहे-दर-चौराहे।
बाबा साहब भीमराव के स्टेचू गड़वाये॥

नोटों पर गान्धी बाबा ने अपना रंग दिखाया।
चौराहे पर बाबा साहब ने वोटर भरमाया॥

स्विस-लाण्ड्री से जिनके कपड़े धुलकर आते थे।
और मौज मस्ती को जो स्विट्जरलैंड जाते थे॥

काँग्रेस ने उनसे इन्ट्रोडक्शन करा लिया है।
नाती-पोतों के खातों का मजमा लगा दिया है॥

रानी की शह पाकर ए.राजा ने हद कर डाली।
कलमाड़ी के कीर्तिमान की कली-कली चुनवा ली॥

मनमोहन बन भीष्म बैठकर नाटक देख रहे हैँ।
चीर- हरण हो रहा और वे आँखें सेंक रहे हैँ॥

अब तक ६३  सालों में जो कुछ हमने पाया है।
वह सब विश्व बैंक के चैनल से होकर आया है॥

काँग्रेस का बीज यहाँ अँग्रेजों ने बोया था ।
जिसके कारण भारत का जो स्वाभिमान खोया था॥

उसको योग-क्रान्ति के द्वारा फिर वापस लाना है।
'क्रान्त' का यह सन्देश आपको घर-घर पहुँचाना है ॥
नोट: मेरी यह कविता पाठक हिन्दी विकिसोर्स पर भी देख सकते हैं लिंक नीचे दिया जा रहा है:
http://wikisource.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%AD%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0

Tuesday, April 3, 2012

बिस्मिलस्य बलिदान-कथा (संस्कृत काव्यानुवाद)

(पण्डित रामप्रसाद 'बिस्मिल' के शव को लिये बैठे मेरे पिता स्व० श्री रामलालजी एवं स्व० भाई हनुमान प्रसाद पोद्दार जी)

                    बिस्मिलस्य बलिदान-कथा
                                                                             (संस्कृत काव्यानुवाद)

आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:
मातृभूमि हित प्राणविसर्जित अमर हुतात्म महानस्य:

जन्म शाहजहाँपुर नगरे पण्डित मुरलीधर गृहे भुव:
माता मूलमतीन: तं पालित: पोषित: वयस्कृत:
सोमदेव स्वामिन: मिलित्वा जीवनस्य गुरुमन्त्रीत:
भारतीय दुर्दशा-व्यथाभ्यां बिस्मिल तं प्रतिअपकार:

क्रान्तिबीज वपुनेन पृथिव्यां कठिन प्रतिज्ञा कृत अस्या
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

अध्ययन-काले गत: लखनऊ अधिवेशने समामिलित:
विद्रोही भूत्वा विराट सम्मान तत्र तिलकस्य कृत:
अनुशीलन दल जनानां सह गहन विचारविमर्श कृत:
हिन्दुस्तानी प्रजातन्त्र संघस्य विधान स अनिर्मित:

सुनियोजित रूपेण कृत: प्रारम्भ क्रान्ति-अभियानस्य:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

मैनपुरी - षड्यन्त्र - काण्डे  वर्षांतर्गत भूमिगत:
वहव:  पुस्तकानि रचित: सहत: वार: अपि कालस्य:
क्षमादान उपरान्त अपश्यत परिवारस्य-जनातुरता
बिस्मिल पुनरागत: स्वनगरे शाहजहाँपुर गृह बसत:

परिवारस्य भरण-पोषण हित वस्त्रोद्योग प्रवर्तितत:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

निद्रा कुत्रागत: कदाचित वीरवृतीन: भूयिष्ट:
अस्मिन चिन्तानां न कश्चित उद्योगं कृतकार्यत्वा
असहयोग आन्दोलनस्य स्थगन समाचारं  श्रुत्वा
गान्धिनां प्रति बिस्मिल-हृदये घोर वितृष्णा संजात:

गृहं त्याज्य स: पुन: गृहीत: पन्थ क्रान्ति-अभियानस्य:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

अन्वेषित: तु धैर्यवान गुणवान सुयुवका: शाखात:
ओजस्वी काव्येन अग्नि स: तस्मिन हृदये प्रज्ज्वलित:
सभामध्य  भाषण कृत्वा नित वातावरण विनिर्मीत:
संरचना प्रत्येक प्रान्ते प्रजातन्त्र-संघस्य कृत:

क्रान्तिकारिण: युवाजनेभ्यः भारतस्य उद्घोषितत:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

स्वयं पुस्तकानां विरचित:  प्रकाशित:  विक्रयक्रीत:
तस्यार्जित द्रव्यात शस्त्र क्रयक्रीत: स्वजने वितरीत:
सैन्य-शस्त्र-संचालन क्षमता अनुभवादि  तस्मिन दृष्ट्वा
प्रजातन्त्र संघस्य प्रमुख पद सेनापतिन: अलंकृत:

अथ श्री महायुद्ध प्रारब्ध:  स:  विरुद्ध सरकारस्य:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

पंचविंश ख्रिश्ताब्द प्रथम जनवरी विधान प्रकाशितत:
तं पठितं अति भयाक्रान्त उद्भूत: आंग्लस्य सत्ता
"यस्य पादुका तस्य शीश" अस्याः अवसर अवलोकयत:
नव अगस्त ख्रिश्ताब्द पंचविंशम् स: कोष बलेन हृत:

उद्घोषित: ब्रिटिश शासन सह समर व्याघ्र-नर मानस्य:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

एतस्मिन क्रोधित भूत्वा प्रतिशोध भावना संजात:
शासनेन एकस्मिन समये कूट-जाल प्रक्षेपितत:
बिस्मिलस्य सह चतुर्विंश अन्यापि क्रान्तिकारिण: धृत:
कारागारे एकस्मिन एकत्रीकृत अभियोजितत:

ईदृश महाभयंकरतम विद्रोह  न साधारण घटना:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

अभियोग: बिस्मिले आंग्ल शासन विरुद्ध षड्यन्त्रस्य
बलाहृता हत्यादि अनेका: अपराधा: आरोपितत:
तै: हृत दश सहस्र समकक्षे कथम् तेन अन्याय कृत:
आरक्षी-अधिवक्ता-साक्ष्ये शासनस्य व्यय दश लक्षा:

उन्मादित: शासका: भूत्वा अहमाधिक  तेषामस्य:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

जगतनरायण मुल्ला सदृश प्रभृति अधिवक्तार: यात:
किन्तु न ते बिस्मिल समक्ष प्रतिवाद कदाचित संज्ञात:
तस्मिन दले अन्तत: कतिपय दुष्टा: जना: समायात:
परिणामत: त्रीणि अन्या अपि बिस्मिल-सह गलपाशीत:

अन्य प्रकारे कारागारे विंशा:  जना: समाहर्ता:
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

यावत समाचार ईयम् पत्रेशु मध्य संचारितत:
पूर्ण देश मध्ये तु  तदास्मिन हा-हाकार कृते जनता:
नेतार:  प्रयास कृत्वा याचिका मुक्ति हित प्रेषितत:
किन्तु न कस्मिश्चिद् प्रभाव वायसरायोपरि संजात:

न तु एको अपि मुक्तकृत:  स:  मृत्यु-दण्ड अभियोगस्य
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:

सप्ताविंश दिसम्बरस्य एकोनविंश तिथि समागत:
बिस्मिलस्च अशफ़ाकस्च रोशनसिंह: त्रय जना: तथा
द्वै दिवसौ पूर्वत:  वीर राजेन्द्र लाहिड़ी ते हन्त:
धिक्! धिक्! यो बहुजना वयं विस्मृत: तस्य बलिदान अद्य:

यथा हि अस्मिन देशवासिन:  प्राप्नुवान  स्वातन्त्र अस्याः
आगतु ! त्वां कथां श्रुणोतुं  बिस्मिलस्य  बलिदानस्य:


नोट: यह बिस्मिल की बलिदान-कथा का संस्कृत छ्न्दानुवाद मैंने मित्रों के आग्रह पर किया है मूल हिन्दी कविता पहले इसी ब्लॉग पर दी जा चुकी है कृपया उससे इसका मिलान अवश्य कर लें धन्यवाद....