Tuesday, June 28, 2011

Ram Prasad Bismil Udyan in Greater Noida

              अमर शहीद
 पं॰रामप्रसाद 'बिस्मिल' उद्यान:
 यह उद्यान (बगीचा) रामपुर जागीर की उस ऐतिहासिक बीहड़ भूमि पर ग्रेटर नोएडा प्रशासन द्वारा विकसित किया गया है जहाँ 20वीं शताब्दी के महान क्रान्तिकारी व 'काकोरी काण्ड' के अमर शहीद पंडित रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने सन्‌ 1918 के 'मैनपुरी षड्‌यन्त्र' में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष के दौरान भूमिगत रहते हुए चरवाहे का भेष धारण कर यहाँ के गुर्जरों की गाय-भैंस चराईं और इन्हीं जंगलों मेँ  अपना क्रान्तिकारी उपन्यास 'बोल्शेविकों की करतूत' लिखा जो ब्रिटिश सरकार द्वारा छपते ही जब्त कर लिया गया।

'बोल्शेविक' शब्द मूलत: रूसी भाषा का है जिसका हिन्दी में अर्थ होता है 'बहुजन समाज के लोग'। इसका उल्लेख इस उपन्यास मेँ पृष्ठ सं॰ 125 पर मिलता है। बिस्मिल जी के भूमिगत जीवन का बड़ा ही मनोरंजक वर्णन उनकी आत्मकथा मेँ भी मिलता है। 'रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा' आजकल इन्टरनेट पर भी उपलब्ध है। सम्पर्क लिंक है:
http://wikisource.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0_%E0%A4%B6%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%A6_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%27%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%27_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%86%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE
हम उत्तर प्रदेश सरकार व ग्रेटर नोएडा प्रशासन को साधुवाद देते हैं कि उन्होंने इस दिशा में एक सार्थक पहल की इसके साथ-साथ यह अनुरोध भी करते हैं कि इस ऐतिहासिक उद्यान का निर्माण तथा रख-रखाव उत्तम कोटि का हो ताकि सरकार की उद्यान व पार्क निर्माण नीति पर कोई प्रश्न-चिन्ह न लग सके.

हमें उम्मीद है इस क्षेत्र के सांसद व सरकार में भागीदार सभी लोग हमारे इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करेंगे. यदि इस उद्यान ( बाग़ ) में  अमर शहीद  पण्डित राम प्रसाद 'बिस्मिल' की मूर्ति उनके आगामी बलिदान-दिवस   १९ दिसम्बर २०११  से पूर्व स्थापित हो सके तो सोने पर सुहागे की उक्ति सार्थक होगी.

Monday, June 13, 2011

Diamond cuts a diamond !

लोहा ही लोहे को काटता है !

मित्रो! देशी कहावत है कि लोहा ही लोहे को काटता है. त्रेता युग में जब रावण के नेतृत्व में राक्षसों का अत्याचार बढ़ा और किसी भी तरह से काबू न पाया जा सका तो विश्वामित्र ने राजा दशरथ से जाकर उनके पुत्र राम को माँगा और उन्हें जाकर राज्य में हो रहे अत्याचारकी  तस्वीरें दिखायीं. उन्होंने विश्वामित्र  के निर्देश पर रावण के कई आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया और जनकपुर से सीता को ब्याह कर अयोध्या वापस लौट आये. राजा दशरथ उन्हें राज्य सौंपने ही वाले थे कि  केकई ने उन्हें १४ वर्ष के लिये तड़ीपार (देश निकाले) का आदेश देकर जंगल में भेज दिया. उन्होंने जाकर वनवासी,ग्रामवासी भील, कोल, और किरात  जैसी जन जातियों को संगठित किया तो रावण ने सत्ता मद में चूर होकर उनकी पत्नी का ही अपहरण कर लिया. जिसका परिणाम सारी दुनिया ने देखा कि राम ने लंका में घुस कर  रावण का वध किया और उसी के  भाई बिभीषण को  सत्ता सौंपकर अत्याचार समाप्त किया.

द्वापर में जब कंस का अत्याचार चरम सीमा पर पहुँच गया तो उसी की सगी बहन देवकी के गर्भ से कृष्ण ने 
जन्म लिया और पापी कंस का वध किया. यही नहीं,जब कौरव अपने भाइयों के खिलाफ अत्याचार पर उतर आये  तब उन्होंने अर्जुन का सारथी बनकर पूरे १८ दिन युद्ध का नेतृत्व किया और कौरवों का विनाश  कर पाण्डवों को सत्ता सौंप द्वारका चले गये.

कलयुग में कांग्रेस के हाथों देश की सत्ता सौंपकर गान्धीजी  ने बँटवारेके बाद भी पाकिस्तानका  पक्ष लेना प्रारम्भ कियाऔर जिद पर अड़ गये तो गोडसे ने उनका वध किया.जब आतंकवाद का पर्याय  बन चुके ओसामा बिन लादेन का दबदबा हद से ज्यादा बढ़ने लगा तो अमेरिकाकी जनता ने इस्लामी मूल के बराकहुसैनओबामा कोराष्ट्रपति चुना और उसे आतंक से निपटने के अधिकार सौंप दिये. आख़िरकार ओबामानेओसामाको  पाकिस्तान की जमीन पर घुसकर मारा.

अब हिन्दुस्तान में कांग्रेस ने करप्शन को खुली छूट देकर करप्शन के खिलाफ बोलने वालों पर ही शिकंजा  कसना शुरू कर दिया तो यह निश्चित समझिये कि कांग्रेस का खात्मा करप्शन ही करेगा अन्ना और बाबा नहीं, अंग्रेजी अक्षरों में पहले ए फिर बी उसके बाद सी और डी ही आता है. और बी यानी अन्ना और बाबा मिल कर कांग्रेस का कुछ बिगाड़ नहीं पाये अब सी और डी यानी करप्शन और दिग्विजय सिंह मिलकर ही कांग्रेस को मिटायेंगे. भगवान से हमारी प्रार्थना है कि कांग्रेस करप्शन को खूब  बढ़ाये, दो चार दिग्विजय जैसे दिग्गज और आगे लाये और नेहरू खानदान के इस विशाल वट वृक्ष की जड़ोंमें करप्शन  का मट्ठा इसी प्रकार लगातार  डालती जाये तभी यह मिटेगा क्योंकि लोहे को लोहा ही काटता है. जब तक इस देश में कांग्रेस का राज रहेगा और जब तक नेहरू खानदान का एक कुत्ता भी भौंकने के लिये शेष रहेगा तब तक  हिन्दुस्तान का भला नहीं होने वाला यह बात देश की सभी अगड़ी-पिछड़ी
पार्टियों को समझ लेनी चाहिये और यदि वे नहीं समझतीं तो इस देश की जनता को समझनी और समझानी चाहिये. मेरे पिताजी, जब मैं सन १९५२ में पाँच वर्ष का था तब से अपनी मृत्यु पर्यन्त १९७० तक कहते रहे कि कांग्रेस ने इस देश का नाम हिन्दुस्तान से बदल कर इण्डिया यानी भारत किया और नोट पर गान्धीजी की तस्वीर छापकर करप्शन को खुली छूट दे दी. मुझे खूब याद है वे बल्लभ जी की एक कविता सुनाया करते थे जिसके बोल थे:

"कांग्रेस ने कर डाली बरबादी हिन्दुस्तान की,
भारत के दो टूक किये जड़  डाली पाकिस्तान की."

Thursday, June 9, 2011

New Public Enthem

नया क़ौमी तराना

भ्रष्ट सत्ता को बदलना अब हमारे दिल में है.
देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है ?

वक़्त आने पर  बता देंगे तुम्हें ओ ! जालिमों !!
हम अभी से क्यों बतायें जो हमारे दिल में है.

अपने-अपने घर में बैठे रह न जाना वोटरों!
लज्जते-जम्हूरियत अब  वोट की ताकत में है.

एक बाबा ने बग़ावत कर दी इस सरकार से,
आज यह चर्चा समूचे मुल्क की महफ़िल में है.

लज्जते-जम्हूरियत=प्रजातान्त्रिक व्यवस्था का आनन्द 

Wednesday, June 8, 2011

So called Saint of Sabermati?

साबरमती के सन्त ?

दे दी हमें बरबादी चली कैसी चतुर चाल?
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

उन्नीस सौ इक्किस में असहयोग का फरमान,
गान्धी ने किया जारी तो हिन्दू औ मुसलमान.
घर से निकल पड़े थे हथेली पे लिये जान,
बाइस में चौरीचौरा में भड़के कई किसान.

थाने को दिया फूँक तो गान्धी हुए बेहाल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

गान्धी ने किया रद्द असहयोग का ऐलान,
यह देख  भड़क   उट्ठे   कई   लाख   नौजवान,
बिस्मिल ने लिखा इसपे-ये कैसा है महात्मा!
अंग्रेजों से  डरती है  सदा   जिसकी   आत्मा.

निकला जो इश्तहार वो सचमुच था बेमिसाल,
साबरमती के   सन्त   तूने   कर   दिया  कमाल.

पैसे की जरूरत थी बड़े  काम  के लिये,
लोगों की जरूरत थी इन्तजाम के लिये,
बिस्मिल ने   नौजवान इकट्ठे   कई    किये,
छप्पन जिलों में संगठक तैनात कर दिये.

फिर लूट लिया एक दिन सरकार का ही माल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

चालीस   गिरफ्तार   हुए   जेल  में   गये,
कुछ भेदिये भी बन के इसी खेल में गये,
पेशी हुई तो जज से कहा  मेल   में   गये,
हम भी हुजूर चढ़ के उसी रेल में गये.

उनमें बनारसी भी था गान्धी का यक दलाल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

उसने किया अप्रूव ये सरकारी खजाना,
बिस्मिल ने ही लूटा है वो डाकू है पुराना,
गर छोड़ दिया उसको तो रोयेगा ज़माना,
फाँसी लगा के ख़त्म करो उसका फ़साना.

वरना वो मचायेगा दुबारा वही बबाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

बिस्मिल के साथ तीन और दार पर चढ़े,
जज्वा ये  उनका   देख नौजवान सब   बढे,
सांडर्सका वध करके भगतसिंह निकल पड़े,
बम  फोड़ने असेम्बली   की  ओर   चल   पड़े.

बम फोड़ के पर्चों को  हवा में  दिया उछाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

इस सबकी सजा मौत भगत सिंह को मिली,
जनता  ने  बहुत  चाहा पे  फाँसी नहीं टली,
इरविन  से  हुआ  पैक्ट तो चर्चा वहाँ चली,
गान्धी ने कहा  दे  दो  अभी  देर  ना भली.

वरना  ये  कराँची  में  उठायेंगे  फिर  सवाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

जब हरिपुरा चुनाव में गान्धी को मिली मात,
दोबारा से त्रिपुरी में हुई फिर ये करामात,
इस पर सवाल कार्यसमिति में ये उठाया,
गान्धी ने कहा फिर से इसे किसने जिताया?

या तो इसे निकालो या फिर दो मुझे निकाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

इस पर  सुभाष  कांग्रेस  से  निकल   गये,
जिन्दा मशाल बन के अपने आप जल गये,
बदकिस्मती  से  जंग  में जापान गया हार,
मारे  गये  सुभाष ये  करवा  के  दुष्प्रचार,

नेहरू के लिये कर दिया अम्नो-अमन बहाल.
साबरमती के सन्त तूने कर  दिया  कमाल.

आखिर में जब अंग्रेज गये घर से निकाले,
था ये सवाल  कौन  सियासत को सम्हाले,
जिन्ना की जिद थी मुल्क करो उनके हवाले,
उस  ओर  जवाहर  के  थे अन्दाज  निराले.

बँटवारा करके मुल्क में नफरत का बुना जाल.
साबरमती के सन्त तूने   कर दिया  कमाल.

Monday, June 6, 2011

What Gandhi wrote in 1942?

गान्धी जी  की भूल सुधार

१९६९ में गाँधी जन्म शती पर प्रकाशित बापू-कथा में उनके निजी सचिव हरिभाऊ ने गान्धी जी का एक पत्र पृष्ठ संख्या २२४ से २२७ तक दिया गया है जो संक्षेप में इस प्रकार है:

"मैं चाहता हूँ भारत में रहने वाला प्रत्येक अंग्रेज इस पत्र को पढ़े और विचार करे. सबसे पहले तो मैं आपको अपना परिचय दे दूँ. मेरी नाकिस (मिथ्या) राय के अनुसार ब्रिटिश सरकार के साथ अब तक जितना सहयोग मैंने किया है, उतना और किसी हिन्दुस्तानी ने नहीं किया होगा. विद्रोह या बगावत की प्रेरणा देने वाली कठिन परिस्थितियों में रहकर भी लगातार २९ साल तक मैंने आपके साम्राज्य की सेवा की 
है. मैंने God save the king के गीत खुद गाये और दूसरों से भी गवाये हैं. मुझे भिक्षाम देहि की राजनीति में  विश्वास  था पर व्यर्थ हुआ.मैं जान गया कि इस सरकार को सीधा करने का 
उपाय यह नहीं है.अब तो राजद्रोह ही मेरा धर्म हो गया है."  

एक जनवरी १९२५ को विजय कुमार के छद्म नाम से पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने The Revolutionary के नाम  से जो पत्र प्रकाशित किया था उसमें भी सीधे सीधे विद्रोह की बात की थी अन्तर केवल इतना था कि वह पत्र आम हिन्दुस्तानियों को सम्बोधित करके लिखा गया था अंग्रेज़ों  को नहीं.

हमारे यहाँ एक कहावत मशहूर है कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आये तो वह भूला नहीं कहलाता. गान्धीजी चूँकि २९ साल के बाद भूल-सुधार का नाटक करते हुए १९४२ में बागी तेवरों के साथ वापस लौटे थे अतः जनता ने उन्हें भूला हुआ मुसाफिर मानकर स्वतन्त्रता-आन्दोलन का महानायक मान लिया. काश! गान्धीजी अपनी यह भूल-सुधार २० साल पहले सन १९२२ में कर लेते तो इतने सारे तेजस्वी नवयुवक अपना बलिदान क्यों करते?

(मेरी कृति स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास से उद्धृत )

बाबा रामदेव ने एक दिन का सत्याग्रह करके २९ आदमियों के हाथ पैर तुडवा डाले उनसे मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि इस जालिम सरकार को सीधा करने का सत्याग्रह उपाय है ही नहीं. सीधा-सीधा बगावत का रास्ता अपनाइये देश की सारी पार्टियों के नेताओं को एक जुट करिये और कहिये कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलें. मुझे उम्मीद है बाबा अगर पूरी ईमानदारी और सच्चे मन से कहेंगे तो एकाध को छोड़कर  बाकी सब मान जायेंगे. उन्हें यदि आवश्यकता हो तो मैं उनका पूरा साथ दे सकता हूँ पर मैं एक बात  साफ कर दूँ- मुझे कोई राजनीतिक पद या प्रतिष्ठा बिलकुल नहीं चाहिये.  

Sunday, June 5, 2011

Death of Democracy

जलियाँवाला से भी अधिक शर्मनाक

बाबा रामदेव ने पिछले कई महीनों से भारत व्यापी भ्रष्टाचार को मिटाने व विदेशों में जमा चार सौ लाख करोड़ रुपये का काला धन स्वदेश में लाकर उसे देश के विकास में लगाने के लिये जन-जागरण का  पुनीत अभियान छेड़ रखा था जिसकी समाप्ति देश  की राजधानी दिल्ली में बैठी केन्द्र सरकार का  ध्यान   आकर्षित करने की मंशा से  ४ जून २०११ को  आमरण अनशन के साथ-साथ सत्याग्रह से शुरू हुई.

 जिस प्रकार दिल्ली  हवाई अड्डे पर कांग्रेस हाई कमान के निर्देश पर सरकारी मन्त्रियों द्वारा पहले बाबा रामदेव   का सरकारी स्वागत किया गया  फिर वार्ता के लिये फाइव  स्टार  होटल में बुलाकर मीठी-मीठी बातों से बहलाकर उनके महामन्त्री आचार्य बालकृष्ण से पत्र लिखवाया फिर  उनके साथ कूटनीतिक छल किया गया  और बाद में  रात के अँधेरे   में बर्बरतापूर्ण अत्याचार करके हजारों की संख्या में अनशन स्थल पर सोये हुए  
 सत्याग्रहियों को बुरी तरह पीट-पीट कर निकाला गया और किसी तरह स्त्री-वेश में जान बचाकर भाग रहे बाबा रामदेव का दुपट्टे से गला घोटकर पहले उन्हें मारने की  कोशिश की गयी उसके बाद उन्हें  तड़ीपार (राज्य से बाहर करने) के आदेश  देकर एक उनका घोर  अपमान किया गया उसकी किन शब्दों में भर्त्सना की जाये, मैं समझ नहीं पा रहा.

इस पुलिसिया कार्रवाई ने तो जलियांवाला काण्ड को भी पीछे छोड़ दिया. हम यहाँ पर अपने पाठकों को इतना और बता दें कि अंग्रेजों ने वह काण्ड दिन में किया था रात के अँधेरे में नहीं.

सिर्फ  इतना ही कह सकता हूँ कि १४-१५ अगस्त १९४७ को रात के बारह बजे अंग्रेजों से पहले  चोरी छुपे  सत्ता  हथियायी,  २५ जून १९७५  को  रामलीला मैदान में जे0पी0 की घोषणा के बाद सत्ता  हाथ से खिसकती देख  रात  में इमरजेंसी लगायी और अब ५ जून २०११ को फिर अमानुषिक अत्याचार करके  रामलीला मैदान में रावण-लीला दिखाई उससे यह तो भली-भाँति स्पष्ट हो गया है कि   कांग्रेस निश्चित रूप से  (रात में दुष्कर्म करने वालों) की पार्टी है यह बात देर-सबेर देश की जनता को समझ में अवश्य आयेगी.  

Thursday, June 2, 2011

Is it India that was Bharat ever?

लहू देकर जिसे मुश्किल से हम आजाद कर पाये,
हमारे मुल्क का यह हाल! किन लोगों की साजिश है?

मित्रो! यह तो थी पूर्व जन्म की व्यथा अब इस जन्म
की सुनाऊँ तो कलेजा बाहर निकल कर मुँह में आ जायेगा.
खैर सुन लीजिये फिर जो मन में आये कीजिये आगे  हम कुछ नहीं बोलेंगे क्योंकि मेडम बोलेंगी कि बोलता है.

सन १९४७ में आज़ादी मिली इसका दुष्प्रचार सरकारी खर्चे पर खूब किया गया इस गाने के साथ-"दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल साबरमती के सन्त! तूने कर दिया कमाल?"

पिछले कई महीनों से एक दूसरा सन्त एक लाख किलोमीटर की यात्रा करके कुछ कमाल दिखाने या यूँ समझो क्रान्ति का सिंहनाद करने के लिये मध्यप्रदेश से चलकर देश की राजधानी दिल्ली के  हवाई अड्डे पर जैसे ही उतरा कि बापू के बन्दरों ने उसे वहीँ घेर लिया और कहने लगे कि हम तुम्हारी सब माँगें मान लेंगे बस इतना करो कि किसानों के बारे में सोचना और बोलना छोड़ दो वर्ना कहीं ये भड़क  गये तो हमारा पुश्तैनी विकास खटाई में पड़ जायेगा. बेचारा सन्त असमंजस में पड़ गया  कि क्या करें? मीडिया उसकी छवि ख़राब कराने में जुटा हुआ है.
हमारा कहना है कि "कांग्रेस हटाओ देश बचाओ" के एक सूत्री कार्यक्रम  से ही इस देश का भला हो सकता है. पर इस सन्त के साथ कुछ सुविधा भोगी जुड़ गये हैं जो  उन्हें बरगला रहे हैं. वे अपने   दोनों हाथों में लड्डू रखकर सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने की  दौड़ में शामिल होना चाहते हैं पर  उनके  हाथ कुछ  भी  आने वाला नहीं.