Tuesday, May 31, 2011

Opposite Poles Of Politics?

लोकतन्त्र का चीरहरण

खुले खजाने लुट रही , लोकतन्त्र की लाज ;
खरबों की संपत्ति है , स्विस बैंक में आज.
स्विस बैंक में आज , वही जनतन्त्र चलाते;
आम  आदमी     को    महँगाई   से     मरवाते.
कहें 'क्रान्त' उस प्रजातन्त्र के हैं क्या माने;
जनता का  धन    लूटा   जाये    खुले   खजाने.

 27   में लिख गये , बिस्मिल जी यह बात;
 आज़ादी यदि मिल गयी,  हमको रातों- रात . 
 हमको  रातों - रात ,  राज   ऐसा      आयेगा;
 जिसमें  केवल पूँजीवाद    पनप       पायेगा.
 कहें 'क्रान्त' फिररोज पिसेगी जनता इसमें;
 बिस्मिल जी यह   बात लिख  गये  27   में.

 साँप - नेवला - मोर हैं , एक  साथ    एकत्र;
 लोकतन्त्र को कर रहे,मिलकर ये अपवित्र.
 मिलकर ये अपवित्र, रातको मिलकर खाते;
 दिन  में   हमको हाथी   जैसे   दाँत     दिखाते.
 कहें 'क्रान्त' कब टूटेगी यह स्वर्ण - श्रंखला;
 और डसेंगे कब तक हमको साँप - नेवला?

Monday, May 9, 2011

British Rule Continues In India?

यह कैसी आज़ादी?

पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके पुरखे ग्वालियर रियासत के उन वीर पुरुषों में से थे जिन्होंने कभी भी ब्रिटिश सरकार को मालगुजारी नहीं दी. उनका तर्क होता था कि यह जमीन उन्हें अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में मिली थी, और पूर्वजों को ईश्वर ने प्रदान की थी. जब वे इसके स्वामी हैं तो ब्रिटिश सरकार को कोई अधिकार नहीं कि वह उनसे मालगुजारी या टैक्स वसूल करे. ग्वालियर रियासत ने सरकार को लिखा और उनकी यह दलील पसन्द करते हुए ब्रिटिश सरकार ने बिस्मिल के पुरखों को मालगुजारी से मुक्त कर दिया. बिस्मिल के पूर्वज मुरैना (मध्य प्रदेश) के बरबई गाँव के निवासी थे. बिस्मिल तो वहाँ पैदा भी नहीं हुए और न उनका वह कर्म क्षेत्र ही रहा परन्तु वहाँ के निवासियों ने बिस्मिल कि बड़ी भव्य मूर्ति वहाँ पर लगा रखी है और हर साल ११ जून (उनके जन्म-दिवस) व १९ दिसम्बर (उनके बलिदान दिवस) को भारी संख्या में एकत्र होकर उस मूर्ति की देवता की तरह पूजा करते है. यह चित्र उसी मूर्ति का है. राम प्रसाद 'बिस्मिल' का कार्य-क्षेत्र दिल्ली, नोएडा- ग्रेटर नोएडा (सन १९१८-१९२० में, जब यहाँ मरुभूमि हुआ करती थी)  से लेकर आगरा तक रहा जहाँ उन्होंने फरारी का जीवन बिताते हुए कई  क्रान्तिकारी किताबें लिखीं, उन्हें प्रकाशित कराया, बेंचा और किताबों की  बिक्री से जो आमदनी हुई उससे हथियार खरीद कर काकोरी काण्ड में  सरकारी खजाना  लूट लिया.  बेरहम  ब्रिटिश सरकार ने पंडित  राम प्रसाद 'बिस्मिल' के साथ अशफाकउल्लाखां , रोशनसिंह  व  राजेन्द्र लाहिड़ी कुल ४ देशभक्तों को फाँसी पर लटकाकर मार डाला.
आज कहने को हमारा देश आजाद है परन्तु सन १८६० का सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट,सन १८६१ का पुलिस एक्ट, तथा सन १८९४ का भूमि अधिग्रहण कानून ज्यों का त्यों लागू है जिसके दम पर आज भी आम जनता, चाहे वह किसान हो,मजदूर हो या गरीब आदमी; उस पर अत्याचार किया जाता है और इसके लिए उस कानून का सहारा लिया जाता है जिसे अंग्रेज बनाकर यहाँ छोड़ गए. उस संविधान की दुहाई दी जाती है जिसे बाबा साहब अम्बेडकर बनाकर चले गए. कितने लोगों को यह जानकारी है कि यह संविधान विदेशी सरकारों के संविधानों की नक़ल करके बनाया गया. इसमें भारतीय ग्रन्थों की कोई भी मदद नहीं ली गयी.  ऐसे में यदि किसान ,मजदूर या गरीब अपनी आवाज उठाये तो उसे यूँ ही कुचलने का कुचक्र यह सरकारें रचती रहेंगी लोग मरते रहेंगे और इतिहास उनके लहू से तब तक लिखा जाता रहेगा जब तक इस देश की जनता हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ की स्थापना करके पूरे देश की व्यवस्था को नहीं बदल देती.

Thursday, May 5, 2011

Why not India?


आतंकी वार

सात  समन्दर  पार  से ,  जब अमरीका वार.
कर सकता है शत्रु पर, तब क्यों हम लाचार?
तब क्यों  हम लाचार  ,  वार करके  दिखलायें.
आतंकी  अड्डों  को ,   हम   भी   धूल  चटायें.
कहें 'क्रान्त'  क्या  इससे  होगा मौका   बेहतर.
हमको   तो   लाँघने   नहीं    हैं    सात  समन्दर.

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Monday, May 2, 2011

Obama V/S Osama


आतंक का अन्त ?

 ओबामा ने कर दिया ,  ओसामा को  ढेर |
 बा औ' सा के बीच था, नौ अक्षर का फेर ||
 नौ अक्षर का फेर , देर  इसलिये लगायी |
 फिर भी सारी दुनिया में उम्मीद जगायी ||
 कहें 'क्रान्त' अब लगे न कोई  कोलन कामा |
 फुलस्टॉप  से  पहले,  चैन  न  लें  ओबामा ||
  कोलन (:)  कामा (,)  फुल स्टॉप (.)