Tuesday, September 11, 2012

No Lokpal! Now Thokpal!!

ना लोकपाल! 
ना जोकपाल!!
अब होना चहिये  ठोकपाल?
(नुक्कड़ गीत)


ना लोकपाल ना जोकपाल
अब होना चहिये ठोकपाल
क्या कहा आपने ठोकपाल?
हाँ ठोकपाल, जी! ठोकपाल!!

अठारह सौ पच्चासी में अंग्रेज ने इसे बनाया था
था ए०ओ० ह्यूम नाम उसका जिसने यह नाम सुझाया था.

इसका था केवल काम साल में एक बार जलसा करना.
वह भी पच्चीस दिसम्बर को अंग्रेजों  का हुक्का भरना.

उस दिन छोटी मोटी "अर्जी"  लिखकर के ये दे देते थे.
उसके बदले "महरानी" से ये मोटा पैसा लेते  थे.

इन  कांग्रेसियों को जनता "अर्जीदिहन्द " बतलाती थी.
"ये अंग्रेजों के चमचे हैं" कहकर खिल्लियाँ उड़ाती थी.

फिर "लाल" "बाल" और "पाल" सरीखे कुछ कद्दावर घुस आये.
"हम लेंगे अभी स्वराज" धमकियाँ अंग्रेजों को भिजवाये.

धमकी से घबराकर उन सब अंग्रेजों का था बुरा हाल.
दक्षिण अफ्रीका से बुलवाया गान्धी जी को बना ढाल.

इनका था पहला लोकपाल, हाँ लोकपाल जी लोकपाल.

उन्नीस सौ सैंतालिस में जब अंग्रेज यहाँ से गये भाग.
तो अपने इन्हीं दलाल बन्दरों के हाथों दे गये आग.

वह आग "करप्शन" की इन सबने घर-घर ऐसी पहुँचा दी.
अब उसे बुझाओ तो लगता है टूट न जाये यह शादी.

जनता व्याकुल हो सोच रही इस आग से कैसे बचे खाल?
बन गयी गले की यह हड्डी कम्बख्त पार्टी बेमिसाल.

कोयला-करप्शन-काँग्रेस इन सबकी है इक "मिथुन" राशि.
इतना "मैथुन" कर रहे देखते नहीं कि दिन है या कि राति.

गान्धी बाबा की लाठी ही है पास तुम्हारे एक अस्त्र.
कुछ करो अन्यथा ये तो सबके सब उतारने लगे वस्त्र.

"है नंग बड़ा परमेश्वर से" अब तो ये चलने लगे चाल.
इसलिये कह रहा हूँ यारो! अगला चुनाव हो बेमिसाल.

इनकी ना एको गले दाल, इसका रखना पूरा ख़याल.
अब ठोकपाल बस ठोकपाल, ईवीएम पर हो ठोकपाल.

यदि अबकी गलती करी तो फिर, पछताओगे चारसौ साल.
ना लोकपाल ना जोकपाल, अगले चुनाव में ठोकपाल.

हाँ! ठोकपाल!! जी! ठोकपाल!!   

 


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