Tuesday, February 26, 2013

Favorite prayer of Ram Prasad Bismil

बलिदान उसी पर हो जावें

This Prayer is reported to have been written by the Great Revolutionary Pt. Ram Prasad 'Bismil'.
As per notes given on the Page No. 154 of the Research Book in 3 Volumes titled "Swadhinta Sangram Ke Krantikari Sahitya Ka Itihas" (Part-1) which is available in the Library of Patanjali Yogpeeth Haridwar. Any body can go there and see the related references from the cited book.
This prayer is daily sung at 4 A.M. in Shantikunj Haridwar.


वह शक्ति हमें दो दयानिधे!
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें!!
पर सेवा पर उपकार में हम
जग जीवन सफल बना जावें!
हम दीन दुखी निर्बलों विकलों,
के सेवक बन संताप हरें!
जो हैं अटके भूले भटके,
उनको तारें खुद तर जावें!!
छल दम्भ द्वेष पाखण्ड झूठ,
अन्याय से निशिदिन दूर रहें!
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेम सुधा रस बरसावें!!
निज आन मान मर्यादा का,
प्रभु! ध्यान रहे अभिमान रहे!
जिस देश जाति में जन्म लिया
बलिदान उसी पर हो जावें!!

2 comments:

KRANT M.L.Verma said...

मित्रो! इस प्रार्थना को जरा ध्यान से पढ़िये. इसकी पहली पंक्ति में ईश्वर से कर्तव्य मार्ग पर डटे रहने
की शक्ति माँगी है और कुछ नहीं. न पैसा, न पत्नी, न बेटा,न बेटी, न मकान, न दूकान!

दूसरी पंक्ति में परोपकार करते हुए केवल अपना नहीं
अपितु सारे संसार का जीवन सफल बनाने की कामना की गयी है!!

तीसरी व चौथी पंक्ति में गरीब असहाय व उपेक्षित
व्यक्तियों की सेवा में स्वयं को समर्पित करते हुए मोक्ष पाने की अद्भुत लालसा व्यक्त की है!

पाँचवीं और छठी पंक्ति में छल छद्म,व्यर्थ के अभिमान,पाखण्ड, झूठ और अन्याय से दूर रहने की सदिच्छा प्रकट की गयी है!!

और अन्तिम दो पंक्तियों में अपनी आन, अपना सम्मान, अपनी मर्यादा आदि का बराबर ध्यान रखने के साथ-साथ अपने देश और अपनी जाति के लिये बलिदान तक होने की उत्कट अभिलाषा के उत्तम भाव व्यक्त हुए हैं.

निस्संदेह इतनी उच्च कोटि की अद्भुत प्रार्थना रामप्रसाद बिस्मिल जैसा क्रान्तिकारी ही कर सकता था जिसने जो कहा वह करके भी दिखा दिया!

प्रवीण पाण्डेय said...

क्रान्ति के समर्पण भाव से उपजी पंक्तियाँ