Saturday, March 2, 2013

Black money converting heritage culture of India?

काले धन से भारतीयता को खतरा

मित्रो!  हमारी परम्परागत भारतीय विरासत को आज सबसे बड़ा खतरा हिन्दू विरोधी ताकतों से है जिन्हें विदेशों में जमा काले धन से पाला पोसा जा रहा है.  कुछ बिन्दु आपके सामने विचारार्थ प्रस्तुत हैं. यहाँ पर यह बताना और भी आवश्यक है कि यह लेख मेरे एक मित्र श्रीयुत संजयकुमार मौर्य (महान देश भारत) ने ई-मेल द्वारा मुझे भेजा था. मैंने उसमें वर्तनी व व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ दूर करने के बाद ही अपने ब्लॉग पर पोस्ट किया है.

१- विदेशों में जमा काले धन का इस्तेमाल गरीब हिन्दुओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिये प्रलोभन के रूप में किया ज़ा रहा है.  देखा जाये तो यह काला धन  हमारी गाढ़ी कमाई का  है जो हमारे ही धर्म के खिलाफ प्रयोग हो रहा है.

२- काला धन सभी हिन्दुत्व विरोधी देशों को सिर्फ़ एक से डेढ़  प्रतिशत ब्याज पर दिया ज़ा रहा है.

३- यही काला धन भारत को ऊँचे दर पर कर्ज के रूप में दिया ज़ा रहा है और उन कर्जदाताओ की शर्त पर हम अपने सभी प्राकृतिक संसाधन विदेशी कम्पनियों को कौड़ियों के भाव बेंच दे रहे हैं. हमारे देश के ये दुश्मन हमारे ही पैसे से और पैसा कमाकर भारत को बरबाद करने में जुटे हैं.  इस समय १२५ करोड़ भारतीयों पर प्रति व्यक्ति २८००० रुपये कर्जा है.

४- इस काले धन के प्रभाव में हमारे बिके हुए नेता किसी भी हिन्दुत्व विरोधी कानून को तत्काल पारित कर देते हैं.

५- कालेधन का सर्वाधिक उपयोग भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया ज़ा रहा है जिसमें ९८ प्रतिशत  (कन्वर्टेड मुसलमानों सहित)  हिन्दू  ही मरते हैं.  ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत में आज तक आतंकवाद में ईसाइयों की सबसे कम मौतें  हुई हैं.

६- भारत में ईसाई बाहुल्य  इलाको में आतंकवाद के नाम पर सिर्फ हिन्दुओं का ही क़त्ल किया जाता  है और आतंकवाद के नाम पर सरकार इसे हिन्दुओं का नाम मिटाने में प्रयोग कर रही है.  उत्तर पूर्व क्षेत्र में हिन्दू दिनों दिन गायब होते ज़ा रहे है.

७- देखा जाये तो भारत में अधिकतर काला धन इन्हीं हिन्दू विरोधी ईसाइयों  का है.

८- यदि आप सोनिया गान्धी की "राष्ट्रीय सलाहकार परिषद्" के सदस्यों की लिस्ट देखें तो आप पायेंगे कि इसके सभी के सभी सदस्य हिन्दू मूल्यों का विरोध करते हैं. यही नहीं, ये लोग हमेशा  हिन्दुत्व विरोधी नियम कानून व  अध्यादेश पारित कर  अन्यान्य सलाहकार कमेटियाँ नियुक्त करते  रहते हैं.

९- भारत में ४०० लाख करोड़ का काला धन भारत को हमेशा ही गुलाम बनाये रखने के लिए काफी है.  इसी में से बहुत थोड़ा सा पैसा  खर्च  करके विदेशी कम्पनियों को भारत लूटने की खुली छूट मिली हुई है. केवल इतना ही नहीं, जो हर साल भारत से २० लाख करोड़ लुट रहे  हैं वह हमारे देश के कुटीर उद्योगों को बन्द कराकर उन्हें आर्थिक रूप से गुलाम ही बना रहे हैं.

१०- भारतीय स्कूलों का पाठ्यक्रम  इसी काले धन की मार्फत बदल कर हमारे बच्चों का दिमाग गुलामी की ओर धकेला जा रहा है.  शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण तन्त्र  पर पहले ही माफिया का कब्ज़ा हो चुका है.

११- भारत की पवित्र धरती से २०००० लाख करोड़ की सम्पदा को लूटकर विदेशों में जमा किया ज़ा रहा है और उसके बदले गरीबों पर धौंस जमायी  जा रही है. बेचारी आम जनता सोचती है कि उसका क्या जा रहा है? अकेले कोयले के मामले में ही सिर्फ मनमोहन सिंह जी  के कार्यकाल में २६ लाख करोड़ की लूट हुई है.  आज बाजार में १२ रूपये किलो बिकने वाला कोयला सिर्फ़ १० पैसे किलो के भाव पर लुटा दिया गया.  इसमें भी काले धन का खुला खेल खेला गया.

१२- पेट्रोलियम पदार्थों (तेल, डीजल और रसोई गैस) में काले धन का खेल तो पूरे भारतवासियों के होश ही उड़ा देगा जब यह मामला खुलकर सामने आयेगा. विदेशी तेल कम्पनियों को उनकी मर्जी माफिक तेल के दाम बढ़ाने की खुली छूट दे दी गयी है.

क्योंकि भारतीयता और हिन्दुत्व में  ज्यादा फर्क नहीं है और भारत में रहने वाले ९९.९९ प्रतिशत भारतीयों के पूर्वज हिन्दू ही  हैं जिससे उनके जीवन में हर कदम पर हिन्दुत्व स्पष्ट परिलक्षित होता है.  हिन्दुत्व को  वे बर्बाद नहीं कर रहे, बल्कि  दशमलव जीरो एक प्रतिशत पूंजीवादी भारतीय और विदेशों में रह रहे हमारे दुश्मन  बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.  इस काम के लिये हराम के काले धन का  धड़ल्ले से  इस्तेमाल किया ज़ा रहा है और कांग्रेस सरकार इसमें अपना अहम् रोल अदा कर रही है.

इसी लिए विगत ६६ वर्षों में हुई भारत की इस कल्पनातीत लूट के माध्यम से विदेशों में जमा काले धन को वापस लाना बहुत जरूरी है.  परन्तु काले धन को लाने में हिन्दुत्व विरोधी ताकतों की कोई रुचि नहीं है,  न टी०वी० वालों की और  न कांग्रेस सरकार की.  अत:  आज जरूरत इस बात की है कि हर भारतीय  या तो कालेधन को वापस लाने के अभियान में अपना सहयोग करे  या इसका प्रबल विरोध करे. अब हाथ पर हाथ धर कर चुपचाप बैठने का वक्त नहीं बल्कि "काँग्रेस" से खुलकर दो-दो "हाथ" करने का वक्त आ गया है.

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