Thursday, April 14, 2011

हमारे देश में धर्म को सर्वोपरि कहा गया है. परमात्मा भी सब कुछ कर सकता है किन्तु अधर्म नहीं.
फिर हिन्दू धर्म तो सनातन धर्म है जिसका कोई प्रवर्तक इतिहास में नहीं मिलता.उसे अन्य मत,पन्थ
या पूजा-पद्धति के समान समझकर इस देश को धर्म-निरपेक्ष या कर्म-हीन बनाने में कौन-सी बुद्धिमत्ता हमारे तथाकथित संविधान-निर्माताओं ने दिखाई , यह बात  हमारी समझ में तो बिलकुल भी नहीं आ रही. 

1 comment:

Swadesh Gaurav said...

When Britishers left India after transfering their powers to the Congress they have very clearly instructed Mr Nehru & Gandhi to
keep the 'Dharma' out of Indian
Constitution and Nehru did the
same.