Tuesday, April 12, 2011

What is "Dharm'' ?

धर्म की परिभाषा

धर्म का जो अर्थ पूजा-पाठ से लगाते उन्हें, वस्तुतः न धर्म की जरा भी पहचान है.
धर्म का है अर्थ 'कर्तव्य' यानी जो भी कर्म, करने के योग्य है वो 'धर्म' के समान है.
कहें 'क्रान्त' आदमी को आदमी बनाने हेतु, आदिकाल से जो चला आया संविधान है.
त्रेता हो या द्वापर ये धर्म ही सिखाने हेतु, आदमीकी योनिमें खुद आया भगवान है.

धर्म कोई जाति नहीं, धर्म कोई पन्थ नहीं, धर्म कर्म-काण्ड का न 'पंडिती-पुलाव' है.
धर्म किसी पीत-वस्त्र-धारी का प्रलाप नहीं, न ही मुल्ला मौलवी का कागजी-कबाव है.
लच्छेदार भाषणोंसे मनको लुभाने वाला, धर्म किसी ढोंगी व्यक्तिका न कीमखाव है.
कहें 'क्रान्त' यदि एक वाक्यमें कहो तो "धर्म आदमीको आदमी बनानेकी किताब है."

1 comment:

Swadesh Gaurav said...

Really speaking thy duty is thy 'dharma'. Do it or don't do it.
It's your perception.