Monday, May 9, 2011

British Rule Continues In India?

यह कैसी आज़ादी?

पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके पुरखे ग्वालियर रियासत के उन वीर पुरुषों में से थे जिन्होंने कभी भी ब्रिटिश सरकार को मालगुजारी नहीं दी. उनका तर्क होता था कि यह जमीन उन्हें अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में मिली थी, और पूर्वजों को ईश्वर ने प्रदान की थी. जब वे इसके स्वामी हैं तो ब्रिटिश सरकार को कोई अधिकार नहीं कि वह उनसे मालगुजारी या टैक्स वसूल करे. ग्वालियर रियासत ने सरकार को लिखा और उनकी यह दलील पसन्द करते हुए ब्रिटिश सरकार ने बिस्मिल के पुरखों को मालगुजारी से मुक्त कर दिया. बिस्मिल के पूर्वज मुरैना (मध्य प्रदेश) के बरबई गाँव के निवासी थे. बिस्मिल तो वहाँ पैदा भी नहीं हुए और न उनका वह कर्म क्षेत्र ही रहा परन्तु वहाँ के निवासियों ने बिस्मिल कि बड़ी भव्य मूर्ति वहाँ पर लगा रखी है और हर साल ११ जून (उनके जन्म-दिवस) व १९ दिसम्बर (उनके बलिदान दिवस) को भारी संख्या में एकत्र होकर उस मूर्ति की देवता की तरह पूजा करते है. यह चित्र उसी मूर्ति का है. राम प्रसाद 'बिस्मिल' का कार्य-क्षेत्र दिल्ली, नोएडा- ग्रेटर नोएडा (सन १९१८-१९२० में, जब यहाँ मरुभूमि हुआ करती थी)  से लेकर आगरा तक रहा जहाँ उन्होंने फरारी का जीवन बिताते हुए कई  क्रान्तिकारी किताबें लिखीं, उन्हें प्रकाशित कराया, बेंचा और किताबों की  बिक्री से जो आमदनी हुई उससे हथियार खरीद कर काकोरी काण्ड में  सरकारी खजाना  लूट लिया.  बेरहम  ब्रिटिश सरकार ने पंडित  राम प्रसाद 'बिस्मिल' के साथ अशफाकउल्लाखां , रोशनसिंह  व  राजेन्द्र लाहिड़ी कुल ४ देशभक्तों को फाँसी पर लटकाकर मार डाला.
आज कहने को हमारा देश आजाद है परन्तु सन १८६० का सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट,सन १८६१ का पुलिस एक्ट, तथा सन १८९४ का भूमि अधिग्रहण कानून ज्यों का त्यों लागू है जिसके दम पर आज भी आम जनता, चाहे वह किसान हो,मजदूर हो या गरीब आदमी; उस पर अत्याचार किया जाता है और इसके लिए उस कानून का सहारा लिया जाता है जिसे अंग्रेज बनाकर यहाँ छोड़ गए. उस संविधान की दुहाई दी जाती है जिसे बाबा साहब अम्बेडकर बनाकर चले गए. कितने लोगों को यह जानकारी है कि यह संविधान विदेशी सरकारों के संविधानों की नक़ल करके बनाया गया. इसमें भारतीय ग्रन्थों की कोई भी मदद नहीं ली गयी.  ऐसे में यदि किसान ,मजदूर या गरीब अपनी आवाज उठाये तो उसे यूँ ही कुचलने का कुचक्र यह सरकारें रचती रहेंगी लोग मरते रहेंगे और इतिहास उनके लहू से तब तक लिखा जाता रहेगा जब तक इस देश की जनता हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ की स्थापना करके पूरे देश की व्यवस्था को नहीं बदल देती.

5 comments:

KRANT M.L.Verma said...

The viewers of this blog can also see the Wikipedia (in English and Hindi). The picture and the facts about Bismil's living undergraound in Rampur Jagir/Jahangir village of present Gautam Budh Nagar are given there. The U.P.Government has established a grand university in the name of that person who never visited this area.What a wonderful misuse of public money and joke of Indian history.Young generation must also know the facts tell it others.

Awadhesh Pandey said...

हमने तो चिराग से खुद को रोशन कर रखा है, जब भी अनुकूल वातावरण आयेगा. अमर क्रान्तिकारी बिस्मिल जी का भारत बनाने में कोई कसर नहीं छोडेंगे. सादर

KRANT M.L.Verma said...

Untill and unless the right to recall a public representive is not included in our constitution it is worthless. In the constitution of Hindustan Republican Association this right was proposed by Pt. Ram Prasad 'Bismil' in his manifesto published on 1 Jan 1925 which was banned by the British Govt and Bismil was hanged alongwith his three partymen viz.Thakur Roshan Singh, Rajedra Lahiri and Ashfaq Ulla Khan.

Unknown said...

Although I have not read the autobiography of Ram Prasad 'Bismil', yet if it is true,his thoughts are really revolutionary. Our present system of politics does not allow its public not to pay tax, but it is also notworthy not to impose the binding upon public to give away their ancestral property/land for others profit. Our nation builders and its public both must think over it.

KRANT M.L.Verma said...

My dear Vijay! I hope my views have hurt you a lot. These things must also be known to the public only then some fruitful results will occur.