Sunday, May 20, 2012

Purity of Politics in India

राजनीति की सीता

पहले था आदर्श हमारा सादा जीवन उच्च विचार
अब है सुविधाओं से भरा लवादा जीवन तुच्छ विचार

कलियुग की बलिहारी देखो लुच्चे लोग मजे में हैं
नेता हुए मदारी जमे जमूरों के मजमे में हैं

राजनीति में राज रह गया कहीं नीति का पता नहीं
इसमें दोष हमारा ही है किसी और की खता नहीं

हम हैं उत्तरदायी हमने ही उनको चुनकर भेजा 
जब चुनाव आया तो हमने अच्छा बुरा नहीँ सोचा

कांग्रेस हो गयी बाँझ सारे नेता श्री-हीन हुए
एक विदेशी महिला के आगे वे कितने दीन हुए

काम कम्युनिस्टों का है वे बीजेपी को दें गाली
छोटे दल  थाली के बैंगन संसद है उनकी थाली

जीवन का आधार धर्म था उसको तो वनवास दिया
राजनीति को धर्महीन करने का सदा प्रयास किया

इन पैंसठ सालों में इसका चमत्कार हमने देखा
पार कर गयी राजनीति की सीता वह लक्ष्मण रेखा

अब तो कुछ दिन लंका में बस इसी तरह रहने होंगे
जब तक राम न लौटेंगे सीता को दुःख सहने होंगे







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