Wednesday, April 27, 2011

Vande Matram v/s Bharat Bhagya Vidhata ?

राष्ट्र-गीत
बंकिम चटर्जी का लिखा हुआ गीत जिसे ,  गाकर रवीन्द्र ने संगीत औ' रवानी दी.
गीत ही नहीं था वो था मन्त्र जिसे गाते हुए,लाखों ही शहीदों ने अनाम क़ुरबानी दी.
कहें 'क्रान्त' ऐसा राष्ट्र-गीत हाशिये पे डाल, जन-गण-मन को ये कैसी तर्जुमानी दी.
लायक नहीं थे उन्हें नायक बनाके फिर,जय हे! जय हे! गाके अधिनायकी गुमानी दी.
राष्ट्र-गान
किंग जार्ज पंचम की स्तुति-प्रशस्ति  में जो, गीत श्री रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने गाया  था.
जन-गण-मन-अधिनायक के साथ उन्हें ,  भारत के भाग्य का विधाता बतलाया  था.
कहें 'क्रान्त' खण्डित-स्वदेशमें,  पंजाब-सिन्ध-बंग ही नहीं रहा तो क्यों ये गीत  भाया था.
'वन्दे-मातरम' जैसा देश भक्ति पूर्ण गीत छोड़ ,  इसे राष्ट्र-गान किसने  बनाया था ?

Bloody Politics ?

 हत्यारिन राजनीति


स्वाधीन देश की राजनीति बतला कब तक,
कुर्सी की खातिर किस-किस को मरवाएगी ?

सिलसिला राजनीतिक हत्याओं का आखिर,
इस लोकतन्त्र में कब तक और चलाएगी ?


जब  रहा  देश  परतन्त्र,  असंख्य  शहीदों ने, देकर अपना  बलिदान इसे आज़ाद किया,
पैसे  के बल  पर कांग्रेस में   घुस  आये,  लोगों  ने  इसको   अपने   लिए  गुलाम  किया.

साजिश का पहले-पहल शिकार सुभाष हुए,  जिनको  विमान-दुर्घटना  करके  मरवाया.
फिर मत-विभेद  के कारण गान्धी  का शरीर,  गोलियाँ दागकर किसने छलनी करवाया?

किस तरह रूस में शास्त्रीजी को दिया जहर,जिनकी क्षमताओंका युगको आभास नहीं,
यदि वे जीवित रहते तो इतना निश्चित था,  'नेहरू-युग' का ढूँढे मिलता  इतिहास   नहीं.

कश्मीर-जेल में किसके एक  इशारे  पर, मरवाये  गये   प्रखर   नेता  श्यामा  प्रसाद ?
गाड़ी में किसने उपाध्यायजी को जाकर, कर दिया ख़त्म, मेटा विरोधियों का विवाद ?

नागरवाला की हत्या किसने  करवाई? ,  पी०पी० कुमारमंगल का  कोई  पता   नहीं ?
जनता शासनके आते ही डाक्टरचुघ का,परिवार ख़त्म करदिया,कौन जानता नहीं ?

इतना  ही  नहीं  डाक्टर चुघ  के  हत्यारे,  कर्नल  आनन्द सफाई  से   हो  गये   साफ़.
कानून  देश  का  अन्धा  न्यायालय बहरा,  आयोगों ने सारे गुनाह कर  दिये   माफ़.

जे०पी०के गुर्दों को किसने नाकाम किया, जो डायलिसिस की सूली पर झूलते रहे.
आपात-काल   में  कितने  ही  निर्दोष  मरे,  बलिहारी   तेरी  समय, लोग   भूलते    रहे.

खागयी गुलाबी-चना-काण्ड की बहस जिन्हें, वे ललितनारायणमिश्र जो कि जप लिये गये.
'रा' के कितने ही अधिकारी गण मार दिये. पर सभी ' जीप-दुर्घटना'  में  शो  किये गये.

जो धूमकेतु - सा राजनीति में उभरा था, उस बेचारे संजय का किसने   किया काम ?
फिर बुलेटप्रूफ ब्लाउज उतार  हत्यारिन ने, कर दिया देश  की कुर्सी का किस्सा  तमाम . 

तू हिन्दू-मुस्लिम कभी सिक्ख को हिन्दू से , आपस में लड़वा कर कुर्सी  हथियाती   है.
हिन्दोस्तान की भोली जनता पता नहीं , हर बार तेरे चक्कर में क्यों आ जाती है ?

जो हवावाज थे उनको कुर्सी दी इसने  , पर वह  भी  तेरी  मनसा  भाँप  नहीं  पाये.
लिट्टे से पंगा लिया और मुँह की खायी ,  पेरम्बदूर   में   अपनी   जान  गँवा   आये.

उनकी हत्यारिन से  चुपके-चुपके  जाकर,  तू   यदा-कदा तन्हाई में मिल आती है.
जिसको  संसद पर हमला करने भेजा था,तू  ही   फाँसी से अब तक उसे   बचाती  है.

Monday, April 25, 2011

What Bismil had written in 'Kranti Geetajali'?

अच्छे दिन आने वाले हैं

मादरे-हिन्द !  गमगीन न हो, अच्छे दिन आने वाले है.
आज़ादी  का  पैगाम  तुझे ,  हम  जल्द सुनाने  वाले  है.

माँ तुझको जिन जल्लादों ने, दी है तकलीफ  जईफी में;
मायूस  न हो  मगरूरों को ,  हम मजा चखाने  वाले हैं.

हिन्दू औ' मुसलमाँ मिलकर के, जोचाहें सो कर सकते हैं;
ऐ चर्खे-कुहन ! हुशियार हो तू ,  पुरजोश  हमारे  नाले  हैं.

मग्लूब  हैं जो -होंगे ग़ालिब ,  महकूम हैं जो होंगे हाकिम;
कब एक-सा दौर रहा किसका , कुदरत के तौर निराले हैं;.

आज़ादी के दीवानों ने , वह  मन्त्र  चलाया है 'बिस्मिल';
लर्जा  है जिससे अर्शे-समाँ, सरकार को जान के लाले हैं. 

जईफी=गरीबी ,मगरूरों=घमंडियों, चर्खे-कुहन=कालचक्र, मग्लूब=गरीब और  बेसहारा, ग़ालिब=ताकतवर
महकूम=दलित-वंचित, हाकिम=शासक, लर्जा है  =हलचल मची  हुई है, अर्शे-समाँ=चारो ओर

Tuesday, April 19, 2011

English Scotch In Gandhian Bottle-Episode 8

अथ श्री गान्धीजी कथा


त्रिपुरी औ' हरिपुरामें, दो-दो बाजी जीत;काँग्रेसमें कीशुरू,फिरचुनावकी रीत.
फिर चुनावकी रीत, रीढ़गान्धीकी तोड़ी; जबवो भन्नाए   तो तुरतपार्टी छोड़ी.
कहें'क्रान्त' फॉरवर्डब्लाक की नीवफिरधरी;नरनाहरसुभाषने,वहस्थलथा त्रिपुरी

कलकत्तामें जबकिया,नेताजीको कैद; भेषबदल जापान वे,पहुँचे हो मुस्तैद.
पहुँचे हो मुस्तैद,फ़ौज अन्ततः बनायी;सिंगापुरमें दिल्लीचलो अवाजलगायी.
कहें'क्रान्त' गान्धीकोलगा इधरसत्तामें-कुछन मिलेगा,जापहुँचेवे कलकत्तामें.

जैसे ही जापानकी हुई युद्ध में हार; नेताजीको यह लगा अब लड़ना बेकार.
अब लड़ना बेकार,जा रहे थे जहाज में;हुई हवाई-दुर्घटना,जल गये आग में.
कहें 'क्रान्त' जिन्दा होने का भ्रम वैसे ही-फैलाया नेताजी निकलेथे जैसे ही.

नेताजीकी मौतको,अबतक बना रहस्य;लोग राजकरते रहे,इसदेशमें अवश्य.
इस देशमें अवश्य,हुए नेहरूजी पहले;फिर उनकी बेटीको सपनेदिखे सुनहले.
कहें 'क्रान्त' फिर हुई रूसमें घटना ताजी;जिसमें मरवाए शास्त्रीजैसे नेताजी.

हत्याओंका सिलसिला गान्धीजीकेबाद;खूबचला तबभी, हुआजब येदेश आजाद.
जब ये देश आजाद,यही तो बिडंवना है;गान्धी-नेहरू के आगे सोचना मना है.
कहें'क्रान्त' सिलसिलेवार इन घटनाओंका,कृतियोंमेंइतिहास लिखाहै हत्याओंका.

इतिश्री क्रान्त-पुराणे नवमखंडे आर्यावर्ते गान्धी-कथा समाप्तोअहं

Monday, April 18, 2011

English Scotch In Gandhian Bottle- Episode 7

अथ श्री गान्धीजी कथा


गान्धी-इरविन-पैक्ट में, जबयेउठा विवाद; भगतसिंहयदि मरगया, होगाबड़ा फसाद.
होगा बड़ा फसाद , टालते हैं यदि फाँसी ; काँग्रेस - अधिवेशन में,  होगी बदमाशी.
कहें 'क्रान्त'  है युवा वर्ग की  ऐसी  आँधी ;  इसमें क्या कर पायेंगे  बेचारे गान्धी.

बोले वायसरायसे गान्धीजी तत्काल-"आज नहीं तो कल जिसे मरना है हर हाल.
मरना है हर हाल, देर फिर मत करवाओ; अधिवेशनसे पहले ही फाँसी दिलवाओ.
कहें 'क्रान्त' जिससे जो होना है सो हो ले; रोज-रोजका झंझट निबटे" गान्धी बोले.

एक-एक कर होगया, ग्यारह*का बलिदान; गान्धीजीको तबलगा, अबहै कामआसान.
अब है काम आसान,लीक पर इनको लाओ; युवा-वर्ग का लीडर नेहरू को बनवाओ.
कहें 'क्रान्त' उठ खड़ा हुआ सुभाष नर-नाहर; बोला-"अब मैं बदला लूँगा एक-एक कर".

* १-राजेन्द्र लाहिड़ी,२-रामप्रसाद'बिस्मिल',३-रोशनसिंह,४-अशफाकउल्ला खां,५-लाला लाजपतराय,
६-यतीन्द्रनाथ दास,७-भगतसिंह,८-सुखदेव,९-राजगुरु,१०-चन्द्रशेखर'आजाद',११-गणेशशंकर विद्यार्थी.

English Scotch In Gandhian Bottle - Episode 6

अथ श्री गान्धीजी कथा


इन दोनों की अन्ततः, साजिश लायी रंग; मुल्लाजीको देखकर, सभीलोग थे दंग.
सभी लोग थे दंग, इधर नेहरू के साले; जगतनारायणमुल्ला,उधर सभी मतवाले. 
कहें 'क्रान्त' दुर्दशा, कचहरीके कोनों की; देख-देख  छाती फटती थी, इन दोनों की. 

बिस्मिल,रोशनसिंह' अशफाकुल्लाखान; सँग राजिन्दरलाहिड़ीचारहुएबलिदान,
चार हुए बलिदान, मान भक्तों का डोला; भगतसिंह ने रँगा, बसन्ती, अपना चोला.
कहें 'क्रान्त' आजाद सरीखे, सब जिन्दादिल; देश-दुर्दशा देख, होगये सारे बिस्मिल.

वध कीना सांडर्स का, संसदमेंविस्फोट; भगतसिंह आजाद ने, करी तड़ातड़ चोट.
करी तड़ातड़ चोट , देश ने ली अँगड़ाई ; थाने फूँके  गये ,   बैरकें गयीं जलाई.
कहें'क्रान्त' गान्धीके रोके क्रान्ति रुकी ना; क्रान्तिकारियोंने अंग्रेजोंका वध कीना.

Friday, April 15, 2011

Democracy (?)

लोकतन्त्र


लोकतन्त्र को बना दिया गया  मजाक यहाँ , नोटतन्त्र  के सहारे वोटतन्त्र चल रहा.
आम आदमी को यहाँ कौन पूछता है कुछ, खास लोगों के लिए ही  रूप ये बदल रहा.
कहें 'क्रान्त' माल सिर्फ मालदार जा रहे हैं, आम आदमी तो तो उन्हें  देख के  मचल  रहा.
आरक्षण की आग हो या शिक्षा का हो सब्ज बाग,दोनों के ही नाम पे  समूचा देश जल रहा.  

Thursday, April 14, 2011

English Scotch In Gandhian Bottle-Episode 5

अथ श्री गान्धीजी - कथा


बिछा फटाफट  देश में, गुप्तचरों का जाल; यह   'काकोरी-काण्ड'  था, उनके लिए सवाल.
उनके लिए सवाल,  शीघ्र ही हल करना था ; वरना सत्तावन * जैसा, सबको  मरना था.
कहें 'क्रान्त' सब पिंजड़ेमें, भरलिए ठकाठक;चालिस क्रान्ति-कपोत,जालको बिछाफटाफट.

काकोरी  का मुकदमा, चला अठारह माह ; बड़े - बड़े लाये  गये, इकबालिया गवाह.
इकबालिया गवाह , आह सारे भरते थे ;  'बनारसी'  को  देख, सभी अचरज करते थे.
कहें 'क्रान्त' गान्धी का था, वह भक्त टपोरी; जिसे पता था कैसे,हुआ काण्ड-काकोरी.

'बनारसी' ही जानता, था  बिस्मिल का राज; उसे पता था  राम* ही,  छीन सकेगा  ताज.
छीन सकेगा ताज, आज या कल गान्धी से; इसे हटाओ  तभी, बचोगे इस आँधी से.
कहें 'क्रान्त'  कंगन के, आगे झुकी आरसी; बना अप्रूवर* गान्धी, का चेला बनारसी.


*सत्तावन = १८५७, *राम ='बिस्मिल' का एक और नाम, *अप्रूवर=सरकारी गवाह "हाथ कंगन को आरसी क्या " एक मुहावरा है जिसका अर्थ है बड़े के आगे छोटे का अस्तित्व कुछ नहीं होता किन्तु यहाँ सारा केस ही उलट दिया गया काकोरी-षड्यन्त्र को अंग्रेजी-षड्यन्त्र में बदल दिया गया.पाठक चाहें तो  हिन्दी विकिपीडिया  में राम प्रसाद 'बिस्मिल' लेख देख सकते हैं. क्रान्त 


English Scotch In Gandhian Bottle-Episode 4

अथ श्री गान्धीजी -  कथा

सन बाइस में  उठ खड़ा, हुआ युवा-विद्रोह; 'बिस्मिल' जैसे नवयुवक ,बाट रहे थे जोह.
बाट रहे थे जोह , जोर की  थी तैयारी;  सरफ़रोश गजलों   ने,  फूँकी    वह  चिनगारी.
कहें'क्रान्त' जिसने वह, आग लगादी इसमें;शोला भड़का हुई क्रान्ति, फिर सनबाइसमें.

पच्चिसमें नव-वर्ष पर, इश्तिहार को छाप ; गूँजी पूरे देश में, अश्वमेध की टाप.
अश्वमेधकी टाप, फ्लॉप थे सारे नेता;  सिर्फ क्रान्तिकारी ही थे, चहुँ ओर विजेता.
कहें'क्रान्त' फिर फण्ड जुटानेकी कोशिशमें; काकोरी का काण्ड ,हो गया सन पच्चिसमें.

काकोरी के पास में, चलतीगाड़ी रोक;  बिस्मिलके नेतृत्वमें, दिया *मियाँको ठोक.
दिया मियाँ को ठोक, मियाँकी लेकर जूती ; सरकारी-धन हथियाने,को गाड़ी   लूटी.
कहें'क्रान्त'  भयभीत,हो गयी चमड़ीगोरी; उसने कहा  कि साजिश है, घटना काकोरी.

*काकोरी काण्ड में अहमद अली नाम का एक मात्र मुसाफिर मारा गया था, मियाँ शब्द उसी के लिए आया है.
"मियाँ की जूती,मियाँ की चाँद" एक मुहावरा  है जिसका अर्थ है अंग्रेजों के पैसे से ही अंग्रेजों को हथियार खरीद कर मारना  

Pseudo Secularism

छद्म धर्मनिरपेक्षता

धर्म-अर्थ-काम- मोक्ष,  चार पुरुषारथ  बनायेथे  मनीषियोंने  इसमें भी  राज  था.
धर्मसे थाअर्थ, अर्थसे जुड़ाथा काम, कामसे ही मोक्षपानेमें जुटाहुआ समाज था.
धर्मके विरुद्ध कुछ बोलना भी पापथा,  हमारी येपरम्पराथी, रीति थी, रिवाज था.
कहें'क्रान्त'   नायकों ने धर्मही मिटादियाहै, धर्म-निरपेक्ष कभी देशमें न राज था.
हमारे देश में धर्म को सर्वोपरि कहा गया है. परमात्मा भी सब कुछ कर सकता है किन्तु अधर्म नहीं.
फिर हिन्दू धर्म तो सनातन धर्म है जिसका कोई प्रवर्तक इतिहास में नहीं मिलता.उसे अन्य मत,पन्थ
या पूजा-पद्धति के समान समझकर इस देश को धर्म-निरपेक्ष या कर्म-हीन बनाने में कौन-सी बुद्धिमत्ता हमारे तथाकथित संविधान-निर्माताओं ने दिखाई , यह बात  हमारी समझ में तो बिलकुल भी नहीं आ रही. 

Wednesday, April 13, 2011

English Scotch in Gandhian Bottle-Episode 3

अथ श्री गान्धीजी कथा


लोगों  को  सहसा  लगा , बड़े-बड़े  सब लोग; कांग्रेस को  कर रहे निष्ठा से  सहयोग.
निष्ठा से सहयोग, योग जनता का पाया ; गान्धी ने फिर असहयोग का मन्त्र बताया. 
कहें 'क्रान्त' जो हल करसकताथा रोगोंको;'असहयोगआन्दोलन' ठीकलगा लोगोंको.

उधर 'खिलाफत' थीइधर,असहयोगपुरजोर;हिन्दुस्तां'में मचगया 'स्वतन्त्रता'काशोर.
'स्वतन्त्रता' का शोर, मोर जंगल में नाचा ; सबने देखा-देखी में जड़ दिया तमाचा.
कहें 'क्रान्त' चौरीचौरा में हुई बगावत; गान्धी ने घबराकर कर दी उधर  खिलाफत.

इससे  सारे हो  गये,  नौजवान   नाराज ;  कांग्रेस में  देखकर  गान्धी जी  का    राज.
गान्धीजी का राज,लाज जिन-जिन को आई ;उन सबने गान्धीजी को लानत भिजवाई.
कहें 'क्रान्त'  फिर ,' इन्कलाब'  के  गूँजे  नारे; 'जिन्दाबाद'  जवान  कह उठे इससे सारे. 

Tuesday, April 12, 2011

What is "Dharm'' ?

धर्म की परिभाषा

धर्म का जो अर्थ पूजा-पाठ से लगाते उन्हें, वस्तुतः न धर्म की जरा भी पहचान है.
धर्म का है अर्थ 'कर्तव्य' यानी जो भी कर्म, करने के योग्य है वो 'धर्म' के समान है.
कहें 'क्रान्त' आदमी को आदमी बनाने हेतु, आदिकाल से जो चला आया संविधान है.
त्रेता हो या द्वापर ये धर्म ही सिखाने हेतु, आदमीकी योनिमें खुद आया भगवान है.

धर्म कोई जाति नहीं, धर्म कोई पन्थ नहीं, धर्म कर्म-काण्ड का न 'पंडिती-पुलाव' है.
धर्म किसी पीत-वस्त्र-धारी का प्रलाप नहीं, न ही मुल्ला मौलवी का कागजी-कबाव है.
लच्छेदार भाषणोंसे मनको लुभाने वाला, धर्म किसी ढोंगी व्यक्तिका न कीमखाव है.
कहें 'क्रान्त' यदि एक वाक्यमें कहो तो "धर्म आदमीको आदमी बनानेकी किताब है."

Monday, April 11, 2011

English Scotch in Gandhian Bottle-Episode 2

अथ श्री गान्धीजी कथा


कांग्रेस में गोखले, का सुन्दर व्यक्तित्व; देख  गान्धी को लगा, उनमें सही गुरुत्व.
उनमें सही गुरुत्व,  तत्व उनका  पहचाना; गान्धी  ने फिर बुना, देश में ताना-बाना.
कहें 'क्रान्त'  अंग्रेज-भक्त, उस  'काग-रेस'  में, मार ले गए बाजी,गान्धी  कांग्रेस में.

हुई  'बीस' में त्रासदी, तिलक गए  परलोक; कांग्रेस में छा गया,  भारत-व्यापी  शोक.
भारत-व्यापी शोक,लोक-निष्ठा में छाया; गान्धीजीने 'तिलक-फंड', तत्काल बनाया.
कहें 'क्रान्त'  उस समय, चबन्नी-मात्र फ़ीस में; एक करोड़ राशि एकत्रित, हुई 'बीस' में.

कांग्रेस फिर  हो  गयी,  रातों-रात  रईस; 'गान्धी-बाबा'  बन  गये,  कांग्रेस  के  'ईश'.
कांग्रेस के ईश,  शीश  सब  लोग  झुकाए; 'मोतीलाल'  पुत्र  को  लेकर, आगे  आये.
कहें 'क्रान्त' गान्धीको, सौंपा पुत्र 'जवाहर';जनता में हो गयी लोकप्रिय, कांग्रेस फिर. 

English Scotch In Gandhian Bottle: Episode-1

ENGLISH SCOTCH IN GANDHIAN BOTTLE

Madan Lal Dhingra did, in London,big shot.
King George cried sudden-"What is this? O! What!!
What is this? O! What!!,call African-Gandhi.
And ask him-Move India, prevent Andhi."
'Krant' tells if Gandhi was not let out.
As ''Safety Valve",'Kranti' would burst about.


English Translation in the same Hindi Metre"Kundli". (Except Andhi i.e.Revolution)

Sunday, April 10, 2011

English Scotch In Gandhian Bottle -Episode1

अथ श्रीगान्धीजी कथा

मदनलालने जब किया,लन्दनमें विस्फोट.
अंग्रेजों के  हृदय   पर,  हुई  भयंकर  चोट.
हुई    भयंकर चोट,  गान्धी   को  बुलबाया.
परामर्श  कर  लन्दन  से, भारत भिजवाया.
कहे 'क्रान्त' अफ्रीका के अनुभव  विशाल ने.
गान्धी#को भारत भिजवाया मदनलाल*ने


*मदनलाल धींगरा, जिसने 1.7.1909 को लन्दन जाकर कर्जन वायली का वध किया था.
#Gandhi Ji was 2nd, the 1st 'Safety Valve' was Congress, established in 1885 by Britsh Govt .
  .   

Saturday, April 9, 2011

What 'Bismil' had said:

हमने जो लगायी है आग  इन्कलाब की !
कहते हैं अलविदा अब हम अपनेजहानको, जाकर खुदाके घरसे तो आया न जायेगा
अहले-वतन  अगरचे   हमें   भूल जायेंगे, अहले- वतन को  हमसे  भुलाया  न   जायेगा

अब  इससे ज्यादा और सितम क्या करेंगे वो, अब इससेज्यादा उनसे सताया न जायेगा 
हमने जो लगायी  है आग इन्कलाब की,  उस  आगको  किसी   से  बुझाया   न जायेगा 

यह  सच है  मौत  हमको मिटा देगी  एक दिन,  लेकिन  हमारा  नाम मिटाया  न  जायेगा 
'बिस्मिल' अगर मिटा न सके भ्रष्टाचारको, फिरतो  यह मुँह खुदाको दिखाया   न जायेगा

Tuesday, April 5, 2011

TIT FOR TAT ( In original Hindi )

शठे शाठ्यं समाचरेत


दुष्ट हैं जो दुष्टता से बाज नहीं आयेंगे वे, आप साधु हैं तो जंगलों में चले जाइये !

बिच्छू  हैं जो  डंक  मारते  रहेंगे  बार-बार, आप  डूबने  से  उन्हें   लाख हू बचाइये !

कहें  'क्रान्त'  मन  में   मलाल मत मानिये,जो बोधा ने कहा है उसी बोध को सराहिये !

आप को  नचाये  उसे आप हू नचाइये, जो आप को न चाहे बाके बाप को न चाहिये !  
TIT  FOR  TAT
( Poetic Translation in the Same Metre)


Devils are those they will not leave the evils, if you are Saint go to woods Shriman Ji !

Whether you save them time again, but they will not leave to sting  you Shriman Ji !

Hence without malice I quote  you the words of Bodha to behave Shriman Ji !

Good for Bad is not to be said now Tit  for Tat straight Shriman Ji !


Bodha was a Hindi Poet  Shriman Ji ! will be pronounced here in Hindi

Monday, April 4, 2011

Ethical Norms

नीति-नियम

साम -  दाम -  दण्ड - भेद, चार नीतियाँ हैं इन्हें, एक-एक कर इस भाँति अपनाइए.
पहले साम, यानी शान्ति से ही समझाइये,जो ना बने तो दाम का प्रलोभन दिखाइए.
कहें 'क्रान्त'  इस पे   भी  बात  ना  बने  तो उसे,  शक्ति अनुसार  दण्ड   देकर  डराइये.
शत्रु  यदि  आपसे  अधिक  बलशाली  हो  तो,  फिर भेद-नीति से समस्या सुलझाइये.

Sunday, April 3, 2011

Sarasvati-Vandna ( In Urdu )

सरस्वती-वन्दना

कमल पे बैठी हुई मरमरी वदन वाली,  कलाम जिसकी इनायत से निखर जाता है.
सरस्वती से मेरी आज ये गुजारिश है, मुझपे आवाज औ ' अल्फाज की नेमत बख्से.

मैं चाहताहूँ कि तुलसीकी तरह होजाऊँ, कोई मानससी किताब इस जहाँको दे पाऊँ.
मेरे लिये  ये  काम   कोई  बड़ी  बात  नहीं,  तू   मेहरबान  अगर  एक   बार  हो  जाए.

जो खरी बात कहे जिसमें सबकी खैर रहे, बुलन्दियों पे जो   सबकी  खुदी को पहुँचाये.
अदब वही है मेरी माँ उसी अदबके लिये, मेरी येजिन्दगी दुनियामें किसी काम आये.

Vani-Vandna ( In Sanskrat )

वाणी- वन्दना

पद्मासना श्वेतवर्णा विभाति, यस्य कृपादैव शोभां याति;
काव्येषु सा शारदा मे प्रसीदतु, वरं ददातु स्वरं ददातु !

मानस प्रणेता तुलसीव विश्वं, वांछामि दयितुम सत्काव्य रुचिर:,
नैदम असम्भव यदि त्वं प्रसीदसि,माँ तव शुभाशीष वरदान मह्यं!

सत्यम शिवम् सुन्दरम काव्य रुचिरं, सृजनेन लोके कल्याण मस्तु,
ईदृश सुमंगल कवि भाव पुष्पै:, हे अम्ब ! विश्वस्य कल्याण कुरु! कुरु!!  

Vaidik Prarthna ( Hindi-Translation )

नव वर्षाभिनन्दन

नव प्रभात,नव रात-दिन, नया पक्ष,नव मास !
नव ऋतु  बारह मास दें,  जीवन में  उल्लास !!

नये   सुअवसर जो मिलें, कभी   न जायें व्यर्थ !
यही  हमारी  दृष्टि हो,   यही ध्येय का  अर्थ !!

यजुर्वेद (२७/४५) की प्रार्थना का हिन्दी काव्य- रूपान्तर

Vaidic New Year's Greeting

वैदिक नव-वर्षाभिनन्दन

संवत्सरोअसि,परिवत्सरोअसि, ईवत्सरोअसि,इद्वत्सरोअसि !
उषस:, अहोरात्र:, अर्द्धमास:, मासाश्च, ऋतव:, ते कल्पयन्ताम !!

प्रेत्यैच सम सारय प्रांच वत्सर,सुपर्ण आचितअसिमंगलाचित!
देवस्तया  अंगिर   सीद अस्वत,  तया  ध्रुव:  नव- संवत्सरस्य !!

यजुर्वेद-२७/४५ की प्रार्थना  का इन्द्रवज्रा छन्द में संस्कृत काव्य रूपान्तर